बच्चे बन रहे हैं स्वच्छ भारत अभियान के सबसे बड़े दूत” : मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

बच्चे बन रहे हैं स्वच्छ भारत अभियान के सबसे बड़े दूत” : मोदी

  • स्रोत पर कचरे को अलग करने के राष्ट्रीय अभियान में युवा कर रहे नागरिक भागीदारी का नेतृत्व

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नई दिल्ली, स्वच्छ भारत मिशन 2.0 का लक्ष्य शहरों को कचरे से मुक्त बनाना है। इसके लिए प्रमुख पहलुओं में से एक है स्रोत पर ही कचरे को अलग करना। यह महत्वपूर्ण कदम पुराने डंपसाइट्स में जाने वाले कचरे की मात्रा को कम करने में मदद करेगा। फिलहाल स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन सबसे प्रमुख चुनौतियों में से एक है, ऐसे में प्राथमिकता वर्तमान में मौजूद कचरे की डंपिंग और जलाने की आदतों को स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन में बदलना है जो कचरे को अलग करने, इकट्ठा करने, रीसाइकल करने और सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने का काम करते हैं। तेजी से बदलते शहरी परिदृश्य, पारिस्थितिकी तंत्र, जनसंख्या के प्रवास और साथ ही बढ़ती घरों व प्रतिष्ठानों की संख्या के साथ यह जरूरी हो गया है कि समय के साथ नागरिकों के बीच इस व्यवहार परिवर्तन को मजबूत बनाया जाए। अक्टूबर त्योहारों का महीना होता है, ऐसे में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ने व्यवहार परिवर्तन को अपने अभियान के केंद्र में रखते हुए स्रोत पर कचरे को अलग करने की आदत को बढ़ावा देने के लिए इसी विषय पर कई तरह की गतिविधियों की शुरुआत की। मुख्य गतिविधियों में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचकर, घर-घर तक संदेश पहुंचाना और स्कूलों को शामिल करते हुए नागरिकों के बीच महत्वपूर्ण संदेश को प्रसारित करना है। परंपरागत रूप से दिवाली पर ज्यादातर लोग अपने घरों में सफाई का काम करते ही हैं। स्वच्छ भारत मिशन में बच्चे एक बदलाव के प्रतिनिधि के रूप में पहचाने जाते हैं और समग्र सामुदायिक व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में इस दिवाली पर बच्चे अपने परिवार और दोस्तों को स्वच्छता के उपहार के रूप में यह बदलाव भेंट कर सकते हैं। शहरी स्थानीय निकाय ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़कर कई तरह की गतिविधियां आयोजित कर रहे हैं, ताकि सभी का ध्यान स्रोत पर कचरे को अलग करने अभ्यास और उसके महत्व की ओर आकर्षक किया जा सके। सबसे प्रमुख गतिविधियों में घर-घर जाकर, एनजीओ, छोटे हाउसिंग ग्रुप, स्कूलों, कॉलेजों, युवा संगठनों, आरडब्ल्यूए, सिविल सोसायटी और वॉलेंटियर्स की मदद से सभी वार्डों में स्रोत पर ही कचरे को अलग करने के संदेश को पहुंचाना शामिल है। शहरी स्थानीय निकाय अलग-अलग कचरे को रखने की व्यवस्था कर सकते हैं और कचरा इकट्ठा करने वाले वाहन पर उसे फिट कर सकते हैं। इसमें गीले के लिए हरा और सूखे कचरे के लिए नीले रंग का हिस्सा फिट कर सकते हैं। इसके लिए विभाजित बड़े साइज के बिन, बड़े बैग्स, केन बास्केट, प्लास्टिक या मेटल के बिन या अन्य साधन जुटा सकते हैं। इन प्रमुख गतिविधियों के दौरान यह सुनिश्चित किया जाए कि अलग करके इकट्ठा किया गया कचरा प्रसंस्करण की सुविधाओं तक अलग-अलग ही रखा जाए। स्कूली बच्चों को साथ में जोड़ने वाली गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं, जो कि 30 अक्टूबर तक चलेंगी। सेल्फी पॉइंट्स बनाए जा रहे हैं जिसमें हरा (गीले कचरे के लिए) और नीला (सूखे कचरे के लिए) कचरे को अलग करने के संदेश देने वाले दो डस्टबिन लगाए जा रहे हैं। शहरी स्थानीय निकाय भी स्कूलों और बच्चों के साथ जुड़कर उन्हें टंग ट्विस्टर चैलेंज दे रहे हैं। इसमें भाग लेने वालों को जल्दी-जल्दी ‘हरा गीला सूखा नीला’ जितनी बार संभव हो बार-बार दोहराने को कहा जा रहा है। मोबाइल वैन और ट्रकों पर “हमें गर्व है” थीम सॉन्ग चलाया जा रहा है, जो स्वच्छ और सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त दिवाली का संदेश दे रहे हैं। स्कूल और घरों में कचरे को अलग करने को बढ़ावा देने के लिए बच्चों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ गतिविधियों की योजना बनाई गई है। इसमें बच्चों को घरों से डस्टबिन लाकर उसे कलात्मक रूप से सजाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा छात्र टॉयकैथॉन चैलेंज में भी भाग ले सकते हैं, जिसके लिए उन्हें https://innovateindia.mygov.in/swachh-toycathon/ पर रजिस्टर करना होगा। इसमें वह घर से सूखे कचरे के 5-6 आइटम लाकर उससे खिलौने बना सकते हैं। घरों से स्कूल को जोड़ने के लिए उन्हें घरों से स्टिकर या लेबल बनाकर लाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जो हरे-नीले रंग के होंगे और उन पर गीले-सूखे कचरे को स्रोत पर ही अलग रखने का संदेश लिखने को कहा जा रहा है। स्टिकर बनाने के बाद बच्चे उन्हें घरों के बाहर भी लगा सकते है जिनपर गीले-सूखे कचरे को अलग रखने का संदेश लिखा होगा या घरों के बाहर ऐसा स्टिकर लगा सकते हैं जिसपर लिखा होगा ‘मेरा घर गीले-सूखे कचरे को अलग करता है’। यह संदेश अप्रत्यक्ष रूप से उनके दोस्तों और दूसरे परिवारों को भी कचरे को अलग करने के लिए प्रेरित करेगा। इस विशाल अभियान से पहले 72 घंटों में 10 लाख से ज्यादा बच्चे जुड़ चुके हैं। इसमें भाग लेने वाले स्कूल वेबसाइट sbmurban.gov.in पर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। सभी स्कूलों को पुरस्कार स्वरूप भागीदारी का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के आठ साल की उपलब्धियों के जश्न के अवसर पर देश की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने 1 अक्टूबर 2022 को भारत के नागरिकों से ‘स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण’ के इस अभियान में जुड़ने  का आग्रह किया, जो समाज के विभिन्न वर्गों के बीच अपशिष्ट प्रथक्करण की सही प्रथाओं को मजबूत करने पर केंद्रित है। दो सप्ताह तक चले स्वच्छ अमृत महोत्सव के एक हिस्से के रूप में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन से स्रोत पर कचरे अलग करने के लिए इस राष्ट्रीय अभियान की शुरूआत की।

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