सहरसा : मासिक तीन हजार रूपए आर्थिक सहयोग दें - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 17 सितंबर 2023

सहरसा : मासिक तीन हजार रूपए आर्थिक सहयोग दें

  • सीतामढ़ी में वृद्धा पेंशन बढ़ाने की मांग को लेकर सैकड़ों की संख्या में लोगों ने किया प्रदर्शन, 400 की जगह 3 हजार हो पेंशन
  • सहरसा में बुजुर्गों को मिलने वाली वृद्धावस्था पेंशन की राशि बढ़ाने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने अधिकार मार्च निकाला
  • कर्नाटक और मध्यप्रदेश सरकार की तरह बिहार सरकार में भी सरकार सभी महिलाओं को मासिक तीन हजार रुपए आर्थिक सहयोग दें

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सहरसा. बिहार के सहरसा में बुजुर्गों को मिलने वाली वृद्धावस्था पेंशन की राशि बढ़ाने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने अधिकार मार्च निकाला है.इसी तरह की मिली जुली मांग एकता परिषद बिहार के द्वारा की जा रही है.इस संदर्भ में एकता परिषद का नेता विजय गोरैया कहते हैं कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश सरकार की तरह बिहार सरकार भी सरकार सभी महिलाओं को  मासिक तीन हजार रुपए आर्थिक सहयोग दें. अब बिहार में प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी गयी है. लोकसभा का चुनाव 2024 में और राज्य विधानसभा का चुनाव 2025 में है.इस समय राज्य में प्रदेश सरकार ने Mukhyamantri Vridhjan Pension Yojana की शुरुआत की है.सभी बूढ़े बुजर्गों को बुढ़ापे में अच्छे से जीवन व्यतीत करने के आर्थिक सहायता स्वरूप पेंशन दी जाएगी. बिहार वृद्धजन पेंशन योजना को दो भागों में बांटा गया है.जिस बुजुर्ग की आयु 60 से 79 वर्ष के बीच में उसको 400 रुपये हर माह पेंशन के रूप में प्रदान की जाएगी.वहीं जिस बुजुर्ग की उम्र 80 वर्ष से अधिक है उसको 500 रुपये हर माह पेंशन के तौर पर दी जाएगी. इस वृद्धजन पेंशन योजना से वृद्धजन नाखुश है.बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी,मुनाफाखोरी आदि से परिवार में आर्थिक संकट बढ़ती जा रही है.इसके आलोक में प्रभावित लोग सड़क पर उतरने लगे है.सीतामढ़ी में वृद्धा पेंशन बढ़ाने की मांग को लेकर सैकड़ों की संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया. फिलहाल वृद्ध लोगों को पेंशन में 400 रुपये दिए जाते हैं. जिसे 3 हजार तक करने की मांग की जा रही है. आज शनिवार को बिहार के सहरसा में बुजुर्गों को मिलने वाली वृद्धावस्था पेंशन की राशि बढ़ाने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने अधिकार मार्च निकाला है.ग्रामीणों ने इस दौरान नारा लगाया कि सरकार करे दो हजार, नहीं तो होगा तकरार. वृद्धा पेंशन बढ़ाने की मांग को लेकर पंचगछिया ग्राम पंचायत के मुखिया के नेतृत्व में अधिकार मार्च निकाला गया. पंचगछिया ग्राम पंचायत के मुखिया के नेतृत्व में निकले गए अधिकार मार्च में बड़ी संख्या में महिला, बुजुर्ग और युवा शामिल हुए. सभी के हाथों में मांगों के समर्थन में लिखी गई नारे की तख्तियां थी. सभी अधिकार मार्च में एक ही मांग कर रहे थे कि भारत के अन्य राज्यों के पेंशन की भांति बिहार के बुजुर्गों को भी पेंशन दें. इसी मांग के समर्थन में अधिकार मार्च निकाल कर सरकार के वर्तमान पेंशन योजना का विरोध करते हुए नई पेंशन योजना लागू करने की लोगों ने मांग की.


राज्य सरकार द्वारा मासिक आर्थिक सहयोग दिए जाने की आवश्यकता 

जन संगठन एकता परिषद के संस्थापक पी.व्ही.राजगोपाल है.इस समय एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणसिंह परमार हैं.वे मुजफ्फरपुर में आए थे.अपने संबोधन में राष्ट्रीय अध्यक्ष रणसिंह परमार ने कहा कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश की सरकार महिलाओं का आर्थिक स्वावलंबन के लिए आर्थिक सहयोग दिया जाता है.उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से निवेदन किए कि आप भी बिहार की सभी महिलाओं को मासिक आर्थिक सहयोग तीन हजार रुपए दें ताकि बढ़ती महंगाई के बीच में खुद का परिवार की जिंदगी बचा सके.

       

बिहार सरकार ध्यान दें 

इस समय छोटे-मोटे घरेलू जरूरतों पूरा करने का तनाव महिलाएं झेल रही.अगर दिल्ली में 'आप' सरकार फ्री-बस यात्रा की सुविधा दे सकती है.राजस्थान एवं मध्य प्रदेश की सरकार में 500/-रु. या इससे कम कीमत पर गैस-सिलेंडर उपलब्ध करा सकती हैं.कर्नाटक एवं मध्यप्रदेश की सरकार 2000/-रु. व 1000/-रु. क्रमश: नकद प्रत्येक माह प्रदान कर सकती हैं.तो बिहार में महिला मतदाताओं की अमूल्य वोट पाकर बार-बार सत्ता में आने वाली नीतीश सरकार बेहाल महिलाओं को 'विशेष मासिक आर्थिक सहयोग' क्यों नहीं प्रदान कर सकती.  नीतीश-सरकार के लिए महिलाओं का कर्ज चुकता करने का समय आ गया है.


इसके आलोक में जोरदार अभियान चलाने का निश्चय

एकता परिषद, बिहार का प्रांत स्तरीय अभियान.अभियान का नाम - "मासिक तीन हजार".संदर्भ--  गृह-प्रबंधन में आर्थिक खींचतान से तनाव ग्रस्त बिहार की महिलाओं के लिए, कर्नाटक एवं एम.पी. की तरह,  राज्य सरकार से मासिक आर्थिक सहयोग की मांग. हर महिला के लिए मात्र तीन हजार रुपये मासिक. अभियान-अवधि-27 सितंबर शहीद भगत सिंह जयंती से 11 अक्टूबर जे.पी. जयंती तक. इस अवधि में जनता के बीच कहीं जन-संपर्क, कहीं हस्ताक्षर अभियान, कहीं संवाद-यात्रा तो कहीं प्रचार-गोष्ठी के कार्यक्रम चले. कार्यक्षेत्र के हर एवं जिला अधिकारी को, माननीय मुख्यमंत्री महोदय को संबोधित मांग-पत्र भी सौंपे जाएंगे. 

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