मधुबनी : फाइलेरिया (हांथीपांव) अनुवांशिक नहीं बल्कि संक्रामक बीमारी : डॉ. विनोद कुमार झा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 10 सितंबर 2023

मधुबनी : फाइलेरिया (हांथीपांव) अनुवांशिक नहीं बल्कि संक्रामक बीमारी : डॉ. विनोद कुमार झा

  • हाथीपांव से बचने के लिए अभियान के दौरान करें दवा का सेवन

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मधुबनी, फाइलेरिया यानी हाथी पांव को लेकर आज भी लोगों में अलग धारणा बनी हुई है। कहीं-कहीं लोग आज भी इसे अनुवांशिक रोगी मानते हैं, जबकि फाइलेरिया एक बीमारी है। फाइलेरिया क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से फैलता है और यह मच्छर घर में यदि एक से अधिक लोगों काटता है, तो फलेरिया होने की संभावना अधिक हो जाती है, हालांकि इसका लक्षण 10 से 12 वर्षों के बाद दिखाई देता है। लोग इसे अनुवांशिक रोग मान लेते हैं जबकि यह एक संक्रमित बीमारी है, और इससे सावधानी ही बचाव है। इस बाबत जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. विनोद कुमार झा ने बताया कि फाइलेरिया को लेकर अभी भी लोगों में जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है, और कहीं-कहीं लोग आज भी इसे जेनेटिक (अनुवांशिक) रोग ही मान रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया बीमारी को लेकर लगातार अभियान चलाया जा रहा है और लोगों को जागरूक करके बताया जा रहा है, कि यह एक जेनेटिक बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में मच्छरों के काटने से फैलता है। उन्होंने बताया कि यह मुख्यतः क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छरों से काटने से फैलता है।


जिले में है हाथी पांव के मरीज :

वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने बताया की जिले में कई हाथीपांव के मरीज मौजूद है। उन्होंने बताया की पिछले कुछ वर्ष में हुए सर्वे के अनुसार 1200 के आसपास लोग पहले से ही हाथीपांव से पीड़ित है, साथ ही पिछले जुलाई में हुए नाइट ब्लड सर्वे के अनुसार जिले के 3 प्रखंडों के लोगों में फाइलेरिया के परजीवी पाए गए है। 


हाथीपांव का शिकार होने से बचा जा सकता है :

डॉ. झा ने बताया की फाइलेरिया एक खतरनाक बीमारी है। यदि यह किसी को हो गया तो ठीक नही किया जा सकता ना दवा से न सर्जरी से। क्योंकि फाइलेरिया का अभी तक देश में कही भी सर्जरी मौजूद नहीं है। वही थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया की इस बीमारी से बचने के लिए सरकार द्वारा लगातार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान चलाया जाता है, जिसमे एलबेंडाजोल एवं डी ई सी का दवा का सेवन करवा कर इस रोग से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया की सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष यह अभियान चलाया जाता है। यदि पांच साल तक दवा का सेवन कर लिया जाए तो फाइलेरिया होने की संभावना खत्म हो जाएगा। उन्होंने बताया की इस वर्ष यह अभियान 20 सितंबर से शुरू हो रहा है, इसलिए इस अभियान में सभी लोग दवा खांए।

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