हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी। प्रतिपदा तिथि का समापन 15 अक्टूबर को रात 12 बजकर 32 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि इस बार 15 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी. पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस साल 48 मिनट ही रहेगा. कलश स्थापना के साथ पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. इसमें पूरे 9 दिनों तक दुर्गा मां के नौ स्वरूपों की पूजा-आराधना की जाती है. इस दौरान लोग माता दुर्गा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना और व्रत करते हैं. दसवीं यानी 24 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा. नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना करने का भी विशेष महत्व, लाभ और कुछ नियम होते हैं. हालांकि, शुभ मुहूर्त को देखकर ही कलश स्थापना की जानी चाहिए. मान्यता है कि कलश स्थापना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होकर सभी भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति करती हैं. उन पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं. इस वर्ष मां भगवती हाथी पर सवार होकर पृथ्वी पर आएंगी, जो शुभ संकेत है. इसके साथ ही 30 साल बाद शारदीय नवरात्रि की शुरुआत शश राजयोग, भद्र राजयोग और बुधादित्य योग के साथ होगी. पहले दिन इन तीन शुभ योग की तिकड़ी कई राशि वालों को जीवन में धन, नौकरी में अपार लाभ मिलेगा.
मुहूर्त
शश राजयोग - शारदीय नवरात्रि के पहले दिन शश राजयोग बन रहा है. शनि के प्रभाव से एक महायोग का निर्माण होता है जिसे शश राजयोग कहते हैं. कहते हैं जिसकी कुंडली में शश राजयोग बनता है उसके अच्छे दिन शुरु हो जाते हैं. वह राजा की तरह जिंदगी जीता है. धन, संपत्ति की कमी नहीं होती.
भद्र राजयोग - इस योग का संबंध बुध ग्रह से है. इस योग के प्रभाव से जातक लेखन, कारोबार के क्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त करता है. उसकी बुद्धि, वाणी प्रभावशाली हो जाती है, जिससे कार्य में सफलता मिलने लगती है।
बुधादित्य योग - सूर्य और बुध अभी कन्या राशि में विराजमान है, इससे नवरात्रि में बुधादित्य योग का लाभ भक्तों को मिलेगा. करियर और कारोबार में तरक्की के लिए इस योग को बहुत अच्छा माना जाता है. इसके प्रताप से जातक अपने जीवन में ऊँचा मुकाम हासिल करता है.
इन राशियों को होगा लाभ
वृषभ राशि - मेष राशि के लोगों के लिए शारदीय नवरात्रि अच्छे दिन लेकर आएगी. नवरात्रि पर बन रहा शुभ संयोग मेष राशि वालों के लिए आर्थिक लाभ लाएगा. भाग्य का अच्छा साथ आपको मिलेगा. मां दुर्गा की कृपा से आपकी नौकरी में चल रही परेशानियों का अंत होगा. कारोबार में अच्छी कमाई होगी. धन लाभ के नए स्तोत्र खुलेंगे. परिवार में खुशहाली आएगी.
कर्क राशि - नवरात्रि में योगों की तिकड़ी कर्क राशि वालों के लिए वरदान साबित होगी. व्यापार से जुड़े लोगों को दोगुना फायदा मिलेगा. काम को लेकर विदेश यात्रा सफल होगी. देवी दुर्गा के आशीर्वाद से परिवार में आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. छात्रों को नौकरी के अच्छे अवसर मिल सकते हैं.
मेष राशि - धन के मामले में मेष राशि वालों के लिए नवरात्रि बहुत शुभफलदायी होने वाली है. पुराना अटका धन वापिस मिलेगा. नौकरीपेशा लोगों को कार्यस्थल पर नई जिम्मेदारी मिल सकती है. संतान पक्ष की तरफ से खुशखबरी मिल सकती है. पैतृक संपत्ति से लाभ मिलेगा.
कलश स्थापना
नवरात्रि के शुभारंभ पर कलश स्थापना का विधान है. माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से स्थापित किया गया कलश सुख, संपन्नता और आरोग्य लेकर आता है. कलश मिट्टी, सोना, चांदी या तांबा का होना चाहिए. लोहे या स्टील का कलश प्रयोग नहीं करना चाहिए.नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना घर की पूर्व या उत्तर दिशा में करनी चाहिए. इसके लिए कलश स्थापना वाली जगह को गंगा जल से शुद्ध करके वहां हल्दी से चौक पूरते हुए अष्टदल बनाना चाहिए. कलश में शुद्ध जल लेकर हल्दी, अक्षत, लौंग, सिक्का, इलायची, पान और पुष्प डालने के बाद कलश के बाहर रोली से स्वास्तिक बनाया जाना चाहिए. इसके बाद, कलश को पवित्र की गई जगह पर स्थापित करते हुए मां भगवती का आह्वान करना चाहिए. नवरात्रि पर कलश स्थापना किए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. नवरात्रि की शुरुआत बिना कलश स्थापना के नहीं होती है. मां दुर्गा की विधि-विधान से आराधना करने के लिए कलश स्थापना का विशेष महत्व है. इसे ही घटस्थापना भी कहा जाता है. माना जाता है कि यदि गलत मुहूर्त पर घटस्थापना की जाए तो इससे मां दुर्गा अत्यंत क्रोधिक हो सकती हैं. रात के समय और अमावस्या पर कभी भी कलश की स्थापना नहीं करनी चाहिए. कलश स्थापना करने से पूजा सफल माना जाती है. शुभ फल की प्राप्ति होती है. घर में सुख-समृद्धि आती है.महत्वपूर्ण तिथियां
15 अक्टूबर : प्रतिपदा तिथि, पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी, घटस्थापना
16 अक्टूबर : द्वितीया तिथि, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी
17 अक्टूबर : तृतीया तिथि, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का शुभ दिन
18 अक्टूबर : चतुर्थी तिथि यानी चौथे दिन की जाएगी मां कुष्मांडा की पूजा
19 अक्टूबर : पंचमी तिथि, पांचवें दिन होगी मां स्कंदमाता की पूजा
20 अक्टूबर : षष्ठी तिथि पर की जाती है मां कात्यायनी की पूजा-आराधना
21 अक्टूबर : सातवें दिन, सप्तमी तिथि पर होगी मां कालरात्रि की पूजा
22 अक्टूबर : आठवां दिन, दुर्गा अष्टमी पर मां महागौरी की भक्त करेंगे पूजा-उपासना
23 अक्टूबर : महानवमी यानी नौवें दिन शरद नवरात्रि, व्रत पारण, कन्या पूजन, महागौरी पूजन
24 अक्टूबर : दशमी तिथि पर विजयादशमी (दशहरा), मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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