नयी दिल्ली, 29 अगस्त, उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार को बड़ी राहत प्रदान करते हुए 2002 के दंगे में क्षतिग्रस्त हुए धार्मिक ढांचों, खासकर मस्जिदों, के पुनर्निर्माण के उच्च न्यायालय के फैसले को आज निरस्त कर दिया तथा इस मामले में राज्य सरकार के मुआवजा प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। गुजरात उच्च न्यायालय ने गोधरा कांड के बाद राज्य में हुए दंगे के दौरान क्षतिग्रस्त 500 धार्मिक ढांचों (मस्जिदों और मकबरों) के पुनर्निर्माण का राज्य सरकार को आदेश दिया था। वर्ष 2012 में आये इस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गयी थी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद पंत की पीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की अपील स्वीकार कर ली। हालांकि गुजरात सरकार ने शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान कहा था कि वह क्षतिग्रस्त धार्मिक ढांचों को इमारत मानकर मुआवजा देगी। गुजरात सरकार ने योजना बनाई थी कि क्षतिग्रस्त इमारतों को ज्यादा से ज्यादा 50 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। सरकार के मुताबिक धार्मिक स्थल या मस्जिद को धर्म के नाम पर नहीं, बल्कि इमारत के तौर पर मुआवजा दिया जाएगा। राज्य सरकार की इस मुआवजा योजना को शीर्ष अदालत ने आज मंजूरी देते हुए कहा कि किसी धार्मिक स्थल के निर्माण या मरम्मत के लिए सरकार करदाता के पैसे को नहीं खर्च कर सकती है। अगर सरकार मुआवजा देना भी चाहती है तो उसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च आदि को उसे भवन मानकर उसकी क्षतिपूर्ति की जा सकती है। राज्य सरकार की अपील की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को ऐसे ढांचों के बारे में विस्तृत ब्योरा देने और उनके पुनर्निर्माण में आने वाली लागत के बारे में जानकारी देने का भी आदेश दिया था।
मंगलवार, 29 अगस्त 2017
धार्मिक ढांचा पुनर्निर्माण मामला: गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को पलटा
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