मधुबनी के जिला परिवहन कार्यालय में सबकुछ ठीक नही चल रहा है । दरअसल यहां पदाधिकारी की मनमानी से सरकारी आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है, कई ऐसे मामले हैं जिसपर अगर वरीय पदाधिकारी संज्ञान लें तो जिला परिवहन पदाधिकारी पे गाज गिड़नी तय है ।
पहला मामला - मधुबनी से दिल्ली(आनंद विहार) के लिए मधुबनी से पांच बसें चलती है जो कि उत्तर प्रदेश सरकार से निबंधित है । ये बसें उत्तर प्रदेश से टूरिस्ट परमिट लेकर मधुबनी से आनंद विहार और आनंद विहार से मधुबनी के लिए यात्री सेवा चालू कर रखी है और इसके लिए बतौर भाड़ा प्रति सीट 1000 और प्रति स्लिपर 1500 रुपया लिया जा रहा है । ये गोरखधंधा खुलेआम चल रहा है और इसकी ऑनलाईन बुकिंग भी होती है । जबकि परिवहन आयुक्त का बिहार के सभी परिवहन पदाधिकारियों को स्पष्ट आदेश है की दूसरे राज्यों से परमिट लेकर यात्री बस जो दूसरे राज्यों के लिए यात्री सेवा देती है ऐसी बसों के परिचालन पर रोक लगाए । इस सब बावजूद ये गोराखधंदा बदस्तूर जारी है और ऐसी बस सेवा का उद्घाटन भी एक केबिनेट मंत्री महोदय करते हैं ऐसे में स्पष्ट होता है कि इस मामले में परिवहन पदाधिकारी और रसूखदारों की मिलीभगत से सारा खेल चल रहा है ।
दूसरा मामला - एक नामी परिवहन कंपनी "शाही तिरुपति" जो मधुबनी जिले के अलग-अलग इलाकों से दरभंगा,मुजफ्फरपुर और पटना के लिए यात्री बसें चलती है,दरअसल इस परिवहन कंपनी के एक दर्जन से जय बसें मधुबनी से यात्री सेवा देती पर मात्र 7 बसों को ही परमिट निर्गत है । चूंकि यह परिवहन कंपनी भी रसूखदार लोगों की है इसिलिए जिला परिवहन पदाधिकारी की मिलीभगत से लाखों का वारा न्यारा हो रहा है ।
तीसरा मामला - मधुबनी जिले में जितनी भी दो पहिया वाहन की एजेंसी/शोरूम है वो मोटरयान कानून को ताख पर रखकर मालवाहक वाहनों का स्वरूप बदलकर दो पहिया वाहनों को ढ़ोने काम करती है जो पूरी तरह गैरकानूनी है और ये सब परिवहन पदाधिकारी की मिलीभगत से हो रहा है ।
ये सारा खेल खुलेआम चल रहा है,ये तीन मामले तो सिर्फ बानगी है क्रमवार और भी मामलों से आप सब रूबरू होते रहेंगे !!
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