महिला को अपने बेरोजगार पति को तलाक का मुकदमा लड़ने के लिए पैसे देने का आदेश !! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 30 दिसंबर 2009

महिला को अपने बेरोजगार पति को तलाक का मुकदमा लड़ने के लिए पैसे देने का आदेश !!

सुप्रीम कोर्ट ने नियमों से थोड़ा हटते हुए एक महिला को उसके बेरोजगार पति को बेंगलुरू की अदालत में तलाक का मुकदमा लड़ने के लिए 10 हजार रुपए अदा करने का आदेश दिया है।


आम तौर पर सीआरपीसी के सेक्शन 125 के तहत पति को पत्नी या उसके माता-पिता को तलाक के मुकदमे के दौरान एवं उसके बाद भत्ता देना होता है। इस मामले में शीर्ष कोर्ट ने यह जानने के बाद कि पति संतोष के स्वामी बेरोजगार है, बेंगलुरू में रह रही आइनेस मिरांडा को उसके पति को 10 हजार रुपए देने का आदेश दिया। चेन्नई निवासी संतोष इस रकम से बेंगलुरू की अदालत में तलाक का मुकदमा लड़ेंगे।


जस्टिस दलवीर भंडारी नीत बेंच ने यह आदेश मिरांडा की ओर से दायर ट्रांसफर याचिका का निपटारा करते हुए दिया। मिरांडा ने इस याचिका में संतोष द्वारा चेन्नई में दायर किए गए एक मामले को बेंगलुरू ट्रांसफर करने की मांग की थी।


संतोष ने चेन्नई स्थित फेमिली कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि उसके वैवाहिक अधिकार बहाल किए जाएं क्योंकि उसकी पत्नी ने बिना कारण रिश्ता तोड़ दिया है।


इस पर मिरांडा को नोटिस जारी कर कोर्ट के सामने पेश होने के आदेश दिए गए थे। इसके बाद मिरांडा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया ।


मिरांडा का आरोप था कि संतोष ने उसे परेशान करने के लिए चेन्नई में मामला दायर किया है। इससे पहले उसने संतोष के खिलाफ बेंगलुरू की अदालत में तलाक के लिए याचिका दायर की थी और घरेलू हिंसा कानून के तहत कार्रवाई भी शुरू करवाई थी। मिरांडा ने अपने वकील के माध्यम से बताया था कि वह एक फ्रीलांसर लेखक है, जबकि संतोष बेरोजगार है।

1 टिप्पणी:

अजय कुमार झा ने कहा…

ठीक इसी तरह का मुकदमा बहुत पहले हमारी नज़रों के सामने जब एक विमान परिचारिका पत्नी से बेरोजगार पति ने गुजारा भत्ता मांगा था और अदालत ने दिया भी था