नीकी पै फीकी लगे, बिन अवसर की बात।
जैसे बरनत युद्ध में, नहिं सिंगार सुहात।।
(वृंद कवि)
बहुत सुन्दर दोहे और उक्तियाँ है बधाई ....
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