इक्कीसवीं सदी का सफ़र !! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 29 दिसंबर 2009

इक्कीसवीं सदी का सफ़र !!


समय अपनी रफ़्तार से आगे बढ़ता है और पीछे रह जाते हैं हम।



अभी कुछ ही समय बीता है हमें याद करते हुए कि "७० के दशक के गाने और ९० के दशक की आर्थिक क्रान्ति का हवाला देते हुए। परन्तु वहां अभिप्राय २० वी सदी से होता था लेकिन अब सही मायने में हम नयी सदी के हो चुके हैं जो हम में से बहुतेरों का आखिरी सदी होगा......


१९ वीं सदी जहाँ दो विश्व युद्ध के लिए जाना जायेगा वही २१ वीं सदी कुछ बड़े ही नए और अविश्वसनीय घटनाओं के लिए जैसे कि


  • ग्लोबल वार्मिंग
  • इस्लाम बनाम सारी दुनिया (यहाँ अभिप्राय Radical Islamic War से है )
  • सूचना तकनीकी
  • पानी
  • एशिया महादेश की ताक़त
  • पश्चिमी देशों का घटता रुसूख इत्यादि इत्यादि

भारत के दृष्टिकोण से २० वीं सदी का आखिरी दशक और २१ वीं सदी का पहला दशक शायद सबसे ज्यादा महत्व रखता है।


सन १९८४
में जब राजीव गाँधी ने कहा कि हम २१ वीं सदी में निर्णायक की भूमिका निभाएंगे तब शायद ही किसी ने सोचा था की ऐसा हो भी सकता है परन्तु १९९० से २०१० तक कि यात्रा में इस बात की पुष्टि हो गयी कि सैकड़ों साल की गुलामी के बाद अब दुनिया के नेतृत्व करने का समय आ गया है और भारत इस के लिए तैयार भी है


वैसे बहुत सारी कमियां है हमारे अन्दर लेकिन वो शायद हर समाज या फिर देश
में होता है , सही मायने में हमारी आज़ादी अभी तक दूसरों के हाथों पर टिकी रहती है लेकिन कम से कम तानाशाही व्यवस्था से हम मुक्त हैं।


गरीबी, अशिक्षा , भेदभाव, असमानता और भ्रष्टाचार अभी तक हमारे समाज
में मौजूद है लेकिन २१ वीं सदी के पहले दशक में हमने देखा है कि हमारी रफ़्तार भले ही सुस्त हो परन्तु दिशा दुरुस्त है जो कि हमें हमारी मंजिल (एक सुखी समाज) तक लेकर जायेगी।

रणधीर झा

(वरिष्ट प्रबंधक)

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