प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह मानसिक शिष्टाचार,
शुद्ध आहार, सत्यभाषण, सत्संगति, धार्मिक पुस्तकों
का अध्ययन, जप, ध्यान, प्राणायाम और प्रार्थना
का अभ्यास कर सात्विक विचारों को उत्पन्न
करने की शक्ति का विकास करे।
(स्वामी शिवानन्द )
प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह मानसिक शिष्टाचार,
शुद्ध आहार, सत्यभाषण, सत्संगति, धार्मिक पुस्तकों
का अध्ययन, जप, ध्यान, प्राणायाम और प्रार्थना
का अभ्यास कर सात्विक विचारों को उत्पन्न
करने की शक्ति का विकास करे।
(स्वामी शिवानन्द )
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर और साएगर्भित विचार है धन्यवाद्
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