हिन्दी ग़ज़ल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 7 जनवरी 2010

हिन्दी ग़ज़ल

ग़ज़ल


आज ज़िन्दगी का ऐसा एक दिन है,
बदन मेरे पास है सामने मेरा दिल है।
आज ज़िन्दगी ........ ।

मुद्दतों से सोचा था काश ऐसा दिन आये,
वो भी आये सामने साथ मेरा दिल लाये।
आज ज़िन्दगी ......... ।

शुक्रिया करुँ कैसे समझ नहीं आता,
ऐसी कहि गैर का कोई दिल है चुराता।
आज ज़िन्दगी ......... ।

दिल लुटा के मुझ जैसा सज़ा सिर्फ़ पाता,
कत्ल भी करें गर वो माफ़ हो जाता।
आज ज़िन्दगी ........... ।

-लल्लन प्रसाद ठाकुर-

1 टिप्पणी:

निर्मला कपिला ने कहा…

कविता अच्छी लगी धन्यवाद