मैथिली गीत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


मंगलवार, 5 जनवरी 2010

मैथिली गीत


मोन ने लागय अहाँ बिना,
चैन न आबय निश दिना,
मोन ने लागय ............... ।


बीतल दिन सब मोन परैया
रही रही कs हिय चिहुँकी उठैया,
सपना छल जे टूटि गेल अछि,
बिसरब हम कोना ........
मोन ने लागय .......... ।


घनघोर घटा छायल छल नभ मे,
पायल छल अहाँ पग मे,
छम छम छम छम बाजी रहल छल,
थिरकय मोर जेना,
मोन ने लागय................. ।


जीवन हम बितायब सँग सँग,
वचन अहाँ स लेने रही हम,
बैरी जग के नीक ने लगलय,
पनिसोखी के मेघ जेना,
मोन ने लागय अहाँ ........... ।


-लल्लन प्रसाद ठाकुर-

कोई टिप्पणी नहीं: