आयकर विभाग ने सांसदों से पिछले दो सालों के आयकर रिटर्न की जानकारी मांगी है !! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 4 जनवरी 2010

आयकर विभाग ने सांसदों से पिछले दो सालों के आयकर रिटर्न की जानकारी मांगी है !!

आयकर विभाग ने इस बार कानून बनाने वालों की ओर निगाह की है। विभाग ने सांसदों के संपत्ति घोषणा पत्र और उनके द्वारा भरे जाने वाले इनकम टैक्स में तालमेल जांचने के लिए उनसे पिछले दो साल के आयकर रिटर्न की जानकारी मांगी है। इसके साथ ही सांसदों से उनके आश्रितों के रिटर्न और पैन नंबर भी मांगे गए हैं।

इस सिलसिले में लोकसभा सांसदों व कई वरिष्ठ मंत्रियों को पत्र भेजे गए हैं। इससे कुछ मंत्री नाराज भी हैं। कई सांसदों ने पत्र का मामला निजी स्टाफ पर छोड़ दिया है, जबकि कुछ आयकर विभाग द्वारा वांछित जानकारी देने की तैयारी कर रहे हैं।


इस पत्र में विभाग ने वर्ष 2006-07 और 2007-08 के आयकर रिटर्न की जानकारी मांगने के साथ ही सांसदों से उन वार्ड्स या सर्किलों की जानकारी भी मांगी है कि जिसमें वे और उनके आश्रित आयकर/ धनकर नियमित रूप से जमा कराते हैं।



सूत्रों के मुताबिक, विभाग ने अपने पत्र में इसे भरे गए शपथ पत्र के सत्यापन के लिए शुरू की गई कार्यवाही का हिस्सा करार दिया है। एक वरिष्ठ मंत्री ने इस तरह के पत्र मिलने की पुष्टि करते हुए कहा, ‘आयकर विभाग की यह प्रक्रिया किसी तरह अनुचित नहीं कही जा सकती है। आए दिन ऐसे समाचार आते हैं कि सांसद करोड़पति हो गए या उनकी संपत्ति बढ़ती रहती है। ऐसे में इस मशक्कत से यह साफ हो जाएगा कि यह तरक्की जायज तरीके से हुई है या नहीं।’ एक अन्य मंत्री का कहना था कि ऐसा पहली बार हुआ है जब सांसदों को पत्र लिखकर ऐसा करने के लिए कहा गया है।


एक सांसद ने आयकर विभाग के इस कदम पर आपत्ति जताते हुए कहा, ‘चुनाव आयोग ने शपथ पत्र में उपलब्ध कराई गई संपत्ति को लेकर यह नहीं कहा है कि उसका मूल्यांकन मौजूदा बाजार भाव से किया जाए या फिर जिस मूल्य से संपत्ति खरीदी गई थी उसका जिक्र किया जाए। ऐसे में यह कहना कि सांसद या प्रत्याशी अपनी संपत्ति कम करके दर्शाते हैं, पूरी तरह सही नहीं होगा।’


लोकसभा चुनाव 2009 में दिल्ली से चुनाव लड़ने वाले बीएसपी के दो प्रत्याशी दीपक भारद्वाज और कंवर सिंह तंवर अपनी संपत्ति के ब्योरे के कारण खासे चर्चा में रहे थे। भारद्वाज ने जहां 650 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति का ब्योरा दिया था, वहीं तंवर ने भी 150 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति घोषित की थी। एक गैर सरकारी संगठन-एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की रपट के मुताबिक, एक करोड़ रुपए से अधिक संपत्ति वाले सांसदों की संख्या इस लोकसभा में दोगुनी हो गई है। संस्था ने सांसदों द्वारा चुनाव के वक्त भरे गए शपथ पत्र के आधार पर तैयार की गई रपट में कहा है कि 2004 में 156 करोड़पति थे, जबकि 2009 में करोड़पति सांसदों की संख्या 315 हो गई है।



1 टिप्पणी:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

दो ही बाते हो सकती है, एक तो यह कि उसने जरुरत से ज्यादा कमा कर रख लिया है
याफिर उसे नौकरी में दिलचस्पी नहीं रही !