आडम्बर तजि कीजिए, गुण-संग्रह चित चाय।
छीर रहित गउ ना बिकै, आनिय घंट बंधाय।।
(वृंद कवि)
~~~~~
एक टिप्पणी भेजें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें