बंगाल में नक्सली हमला, 40 मरे सैकड़ों घायल. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 28 मई 2010

बंगाल में नक्सली हमला, 40 मरे सैकड़ों घायल.

पश्चिम बंगाल के मिदनापोर इलाक़े में फ़िशप्लेट उखाड़े जाने की एक घटना के बाद ट्रेन के कुछ डिब्बे पटरी से उतर जाने से 65 से ज़्यादा जानें गई हैं. इस घटना में लगभग 150 लोग घायल हैं जिनमें से कुछ की स्थिति गंभीर है. इस घटना में माओवादी विद्रोहियों का हाथ होने की आशंका ज़ाहिर की जा रही है.

रेलवे पुलिस के अधिकारी दिलीप मित्रा ने बताया कि आधी रात के थोड़ी ही देर बाद यात्रियों को ले जा रही ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे उतरे और दूसरी ओर से आ रही मालगाड़ी से टकरा गए. दिलीप मित्रा का कहना है कि कई यात्री अब भी टूटी हुई बोगियों में फंसे हैं और मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है.

यह क्षेत्र माओवादियों का गढ़ माना जाता है. उन्होंने 28 मई से दो जून तक चलने वाले सप्ताह को काला सप्ताह के रूप में मनाने का आह्वान किया था. यात्री ट्रेन मुंबई से कोलकाता जा रही थी जब पश्चिम मिदनापोर ज़िले के सरडीहा स्टेशन के क़रीब यह घटना घटी. रेलवे के प्रवक्ता सौमित्र मजुमदार ने बीबीसी को बताया कि राहत कार्य पूरा होने के बाद ही मृतकों की संख्या का सही अनुमान लगाया जा सकेगा.

उन्होंने कहा, "तेरह डिब्बे पटरी से उतर कर दूसरी ओर की पटरी पर गिर गए और उधर से आने वाली मालगाड़ी से उनकी ज़बरदस्त टक्कर हो गई. कई डिब्बे तो पूरी तरह चकनाचूर हो गए हैं". सुपर डीलेक्स एकस्प्रेस माने जाने वाली इस गाड़ी के इन 13 डिब्बों में 10 स्लीपर और एक अनारक्षित डिब्बा शामिल थे.

रेलमंत्री ममता बनर्जी वायुसेना के हेलीकॉप्टर से घटनास्थल पहुँचीं और और उन्होंने माओवादियों की धमकी के बावजूद पर्याप्त सुरक्षा मुहैया न कराने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को दोषी ठहराया. हालाँकि पश्चिम बंगाल के पुलिस प्रमुख भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मिदनापोर ज़िले में पूरी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी.

रेलमंत्री ने मृतकों के परिवारों को पाँच लाख और घायलों को एक-एक लाख रुपये के मुआवज़े का भी ऐलान किया. स्थानीय पत्रकार नरेश जाना ने बताया, "मैं कम से कम चार डिब्बों को पूरी तरह क्षतिग्रस्त देख पा रहा हूँ. मुझे मालगाड़ी के नीचे दबे अनेक शव भी नज़र आ रहे हैं. लोग रो रहे हैं. राहतकर्मी शवों को बाहर निकालने का प्रयास कर रहे हैं". हाल के महीनों में माओवादी विद्रोहियों ने सरकार के उन्हें उनके जंगलों में स्थित ठिकानों से बाहर निकालने के अभियान के जवाब में हमले तेज़ कर दिए हैं.

उन्होंने पुलिस, सरकारी इमारतों और रेलवे स्टेशनों जैसे मूल ढाँचों पर कई बार हमले किए हैं. इस महीने के शुरू में उन्होंने छत्तीसगढ़ में एक बस को उड़ा दिया था जिसमें 35 लोगों की जानें गई थीं. प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने माओवादियों की कार्रवाइयों को देश की आंतरिक सुरक्षा को सबसे बड़ी चुनौती बताया है

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