बर्खास्तगी एकमात्र सज़ा !! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 2 जून 2010

बर्खास्तगी एकमात्र सज़ा !!


उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार और सार्वजनिक राशि की गड़बड़ी में लिप्त सरकारी कर्मचारियों के लिए बर्खास्तगी ही एकमात्र सजा है, भले ही वह राशि काफी कम क्यों न हो।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सजा अपराध के अनुपात में होनी चाहिए लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में सरकारी कर्मचारियों के लिए बर्खास्तगी एकमात्र सजा है।

न्यायमूर्ति बी एस चौहान और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की एक पीठ ने अपने फैसले में यह टिप्पणी की। इसके साथ ही पीठ ने कर्मचारी के वकील जे एन दूबे की दलीलों को अस्वीकार कर दिया। पीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के बस कंडक्टर सुरेश चंद्र शर्मा की बर्खास्तगी को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की।

शर्मा को विभागीय जांच के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। जांच में उसे करीब 25 यात्रियों से पैसे लेने और उस राशि को सरकारी खजाने में जमा नहीं कराने का दोषी ठहराया था। न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों में किसी सहानुभूति की जरूरत नहीं है और ऐसा करना जनहित के खिलाफ है। गड़बड़ी की जाने वाली राशि भले ही काफी कम हो लेकिन इसमें महत्वपूर्ण बात गड़बड़ी की कार्रवाई है जो प्रासंगिक है।
 

1 टिप्पणी:

दिलीप ने कहा…

hamare netaon ko ka bhi aisi saja kyun nahi milti