पिछले कई दिनों से बादलों के झुण्ड के साथ अठखेलियाँ खेलता अकोला शहर भीषण गरमी की चपेट में था ऊपर से बिजली का कोहराम ने विदर्भ में गरमी का तांडव रचा रहा था। सालों से भीषण सूखाग्रस्त विदर्भ का ये इलाका थोड़े थोड़े से बारिश में खुश हो जाया करता था की जल की कुछ बूंदें तो बरसी।
मगर इस बार मानसून के सकारात्मक रूख को देखते हुए पूरी आशा है की लगभग आठ सालों से भीषण सूखे की चपेट में रहा विदर्भ इस बार इस आपदा से नहीं गुजरेगा।
ईलाके में पानी का स्तर बिलकुल समाप्त हो चुका था और बिजली की कटौती विदर्भ के लिए नयी बात नहीं है सो पूरा विदर्भ मानसून से पहले तक जल संकट में आ चुका था और अगर इस बार बारिश नहीं होती तो पेयजल के लिए यहाँ से पलायन तय था मगर बारिश की पहली फुहार ने ही पेय जल के स्तर को बढा दिया।
अनकही विदर्भ के लिए शुभकामना रखता है और सुखाड़ के संकट से निकल जाने की दुआ करता है।
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