बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व नीतीश कुमार सूबे के मुस्लिम समुदाय पर पूरी तरह से मेहरबान दिख रहे हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्याय की शाखा खोलने के लिए किशनगंज में 250 एकड़ जमीन दिए जाने के बाद अब राज्य सरकार ने सूबें में मदरसों को मान्यता देने पर लगी हटा दी है। इस फैसले के बाद अब कई और नए मदरसों मान्याता मिलने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य में मदरसों को मान्यता दिए जाने पर 1994 में रोक लगाई गई थी।
मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने इस बारे में बताया है कि यह रोक वर्ष 1994 से ही लगी थी। इस फैसले के बाद फोकानिया, मौलवी आदि की पढ़ाई के लिए अब मुस्लिम बच्चों को घर से दूर नहीं जाना होगा। श्रीसिंह ने बताया कि सूबे में इस वक्त बोर्ड से 1127 मदरसों को मान्यता मिली हुई हैं। इन्हें बोर्ड के माध्यम से अनुदान दिया जाता है। इसके अलावा 2700 ऐसे मदरसे हैं जिन्हें बोर्ड द्वारा मान्यता तो दी गई है, लेकिन उन्हें अनुदान नहीं मिलता है।
मान्यता प्राप्त एवं अनुदानित मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को मुफ्त में पुस्तक, विद्यालय विकास अनुदान, शिक्षक प्रशिक्षण, और दोपहर का भोजन आदि की सुविधा दी जाती है। राज्य में मुस्लमानों की आबादी करीब 16 प्रतिशत है। ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश सरकार का यह फैसला अगामी विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक वोट बैंक को लुभाने के लिए लिया गया है।
बुधवार, 30 जून 2010
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