आरबीआई के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही समीक्षा जारी करते हुए रेपो दर 25 आधार अंक बढ़ाकर 5.75 प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर 50 आधार अंक बढ़ाकर 4.50 प्रतिशत कर दी है।
रिजर्व बैंक से व्यावसायिक बैंकों द्वारा लिए जाने वाले छोटी अवधि के ऋण पर लगने वाला ब्याज रेपो दर (रिपर्चेज रेट) होती है। इसके विपरीत जब रिजर्व बैंक व्यावसायिक बैंकों से ऋण लेता है तो उस पर बैंकों को मिलने वाला ब्याज रिवर्स रेपो दर होती है।
रेपो दर में वृद्धि के कारण आरबीआई से कर्ज लेने पर लागत बढ़ जाएगी और व्यावसायिक बैंकों के पास ग्राहकों को कर्ज देने के लिए धन की उपलब्धता में कमी आएगी। इसी तरह रिवर्स रेपो दर में वृद्धि के कारण व्यावसायिक बैंकों के लिए आरबीआई को कर्ज देना आकर्षक हो जाएगा, इससे बाजार में धन की उपलब्धता में कमी आएगी।
आरबीआई ने इस साल ब्याज दरों में चौथी बार बढ़ोतरी की है। इससे पहले 29 जनवरी, 19 मार्च और दो जुलाई को प्रमुख ब्याज दरों में वृद्धि की गई थी। जून महीने में महंगाई की दर 1०.55 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई थी।
आरबीआई ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में कोई बदलाव नहीं किया है।
बैंकों को अपनी कुल जमा का एक सुनिश्चित हिस्सा आरबीआई के पास रखना पड़ता है जिसे सीआरआर कहते हैं। बैंकों द्वारा नकद, सोना या प्रतिभूति के रूप में सुरक्षित रखा जाने वाला हिस्सा एसएलआर होता है।
मौद्रिक समीक्षा जारी करते हुए बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कहा, ''हम कीमतों में स्थिरता और महंगाई कम करने का लक्ष्य हासिल करने में सक्षम होंगे।'' उन्होंने कहा, ''महंगाई पर नियंत्रण के लिए मौद्रिक समीक्षा में ये कदम उठाए गए हैं।''
आरबीआई के मुताबिक मौद्रिक सख्ती के इन कदमों से अर्थव्यवस्था पर निम्नलिखित प्रभाव देखने को मिलेंगे:
- मांग का दबाव कम होने से महंगाई में कमी आएगी
- विकास दर बनाए रखने के लिए वित्तीय व्यवस्था मजबूत होगी
- नीतिगत उपायों के जरिए मुद्रा तरलता की स्थिति में स्थिरता लाई जाएगी
-छोटी अवधि के ऋणों में उतार-चढ़ाव में कमी आएगी।
केंद्रीय बैंक ने मार्च 2०11 के अंत तक महंगाई दर का अनुमान बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दिया है, इससे पहले यह अनुमान 5.5 प्रतिशत था। वहीं मौजूदा वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर का अनुमान 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया है।
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ज्ञानवर्धक आलेख....
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