मॉनसून के मुंह फेर लेने से परेशान बिहार सरकार अब राज्य को सूखाग्रस्त करने की तैयारी में जुट चुकी है। राज्य के सूत्रों के मुताबिक सूबे के 38 में से 26 जिलों को जल्द ही सूखाग्रस्त्र घोषित किया जा सकता है। बीते साल भी राज्य के 26 जिलों में सूखा पड़ा था।
राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यासजी ने बताया कि, 'राज्य के सिर्फ 10 जिलों में ही सामान्य बारिश हुई है। बाकी 28 जिलों में सामान्य से काफी कम बारिश हुई है। इस कारण से बुआई पर भी काफी असर हुआ है।'
व्यासजी ने बताया कि, 'राज्य के 26 जिलों में धान की बुआई सामान्य से 75 फीसदी से भी कम हुई है। इसमें से कुछ जिलों में तो यह स्तर 60 फीसदी तक नीचे चला गया है।' यह पूछे जाने पर कि ऐसी हालत को देखते हुए क्या राज्य सरकार जल्द ही सूखे का ऐलान कर सकती है, उनका जबाव था, 'अभी इस मामले पर कुछ कहा नहीं जा सकता है। हम इस पर विचार कर रहे हैं।
दरअसल, इस मामले में कई पेंच हैं। एक तरफ तो मुंगेर जैसे जिले हैं, जहां बारिश तो सामान्य हुई है, लेकिन बुआई का स्तर काफी कम है। वहीं, कुछ ऐसे जिले भी हैं, जहां बारिश कम हुई है, लेकिन बुआई का स्तर सामान्य है। हम स्थिति पर रोजाना बैठक कर रहे हैं। लेकिन इस मामले पर एक-दो दिनों के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।'
हालांकि, सूत्रों की मानें तो 26 जिलों में कमोबेश सूखे का ऐलान किए जाने की तैयारी पूरी हो चुकी है। राज्य सरकार जल्द ही कैबिनेट की बैठक में इस बाबत ऐलान कर सकती है।
सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार स्थिति का आकलन करने के लिए केंद्र सरकार से एक टीम भेजने का भी अनुरोध कर सकती है। इसके बाद केंद्र सरकार से सहायता के रूप में अच्छी-खासी रकम मांगने की भी तैयारी पूरी है। सूत्रों ने बताया कि, 'जो दिक्कत हो रही है, वो सिर्फ सूखाग्रस्त जिलों के लिए मानकों को तय करने से संबंधित है। हालांकि, इस पर भी जल्द ही अंतिम फैसला हो जाएगा।'
वैसे, राज्य सरकार के मुताबिक उसने सूखे से निपटने के लिए चाक-चौबंद उपाय कर लिए हैं। व्यासजी ने बताया कि, 'हमने बिजली बोर्ड को ग्रामीण इलाकों में बिजली की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कहा है। साथ ही, हम सिंचाई के लिए डीजल सब्सिडी भी दे रहे हैं। इसके अलावा, पेयजल की आपूर्ति ठीक रखने की दिशा में भी हमने कई कदम उठाए हैं।'
गौरतलब है कि बिहार में इस साल अब तक बारिश सामान्य से 23 फीसदी कम हुई है। इस वजह से कई जिलों में बिचड़े सूख गए हैं और धान का रकबा भी सिमट कर 8 लाख हेक्टेयर रह गया है। सामान्य परिस्थितियों में बिहार में जुलाई के महीने में 20 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी होती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें