अगले सप्ताह अजमल कसाव केस की सुनवाई !! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 28 जुलाई 2010

अगले सप्ताह अजमल कसाव केस की सुनवाई !!

मुंबई में पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब को सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि के लिए बंबई उच्च न्यायालय अगले सप्ताह सुनवाई करेगा।
वहीं महाराष्ट्र सरकार के कानूनविद 26-11 हमलों के मामले में दो अन्य आरोपियों को बरी कर देने के फैसले के खिलाफ 4 अगस्त की निर्धारित समय सीमा से पहले अपील दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं।

निचली अदालत कसाब को सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि के लिए बंबई उच्च न्यायालय को अपना फैसला भेज चुकी है। कसाब और नौ अन्य पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 26 नवंबर, 2008 को मुंबई के विभिन्न क्षेत्रों में हमला कर 166 लोगों की जान ले ली थी।

उच्च न्यायालय के सूत्रों के मुताबिक, कसाब को सुनाई गई मौत की सजा के मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है। वहीं, अभियोजन कार्यालय को अब तक षड्यंत्र रचने के आरोप से फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद के बरी हो जाने के खिलाफ अपील करने का मसौदा गृह विभाग से नहीं मिला है।

राज्य सरकार ने कसाब को सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि के लिए दलीलें रखने के मकसद से उज्ज्वल निकम को विशेष अधिवक्ता नियुक्त किया है। वह अंसारी और अहमद को बरी कर देने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील में भी दलीलें रखेंगे। सूत्रों ने कहा कि निकम इस मामले में अपील का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में शामिल रहेंगे। निचली अदालत ने फहीम और सबाउद्दीन को संदेह के लाभ के आधार पर बरी कर दिया था।
इस मामले में अपील दाखिल करने की 90 दिन की समय सीमा 4 अगस्त को खत्म हो रही है। सभी संभावनाओं में सरकार इस निर्धारित अवधि के खत्म होने से पहले अपील दायर करेगी। अब तक कसाब ने उसे सुनाई गई मौत की सजा पर अपील दाखिल नहीं की है, लेकिन उसने पहले उच्च न्यायालय को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि उसके बचाव के लिए वकीलों की नियुक्ति की जाए। 

इसके बाद उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास मामला भेज दिया। प्राधिकरण ने आपराधिक मुकदमे लड़नेवाले दो जाने माने वकीलों अमीन सोलकर और फरहाना शाह को नियुक्त कर दिया। दोनों वकील,500 पृष्ठके फैसले का अध्ययन कर रहे हैं और अगले कुछ दिन में वे अपील दायर कर सकते हैं।
उच्च न्यायालय कसाब तथा राज्य की अपील पर एकसाथ सुनवाई करेगा। निचली अदालत ने गत 6 मई को कसाब को मौत की सजा सुनाने के अपने फैसले को जायज ठहराया था

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