इंटरमीडिएट परीक्षा के साढ़े अठारह हजार से ज्यादा परीक्षार्थी स्क्रूटनी को लेकर परेशान हैं। ऐसे छात्रों का हाल कुछ यूं है कि स्क्रूटनी कार्य नहीं होने से अब तक रिजल्ट नहीं मिला है। इस वजह से आगे की कक्षाओं में दाखिले से वंचित रह गए हैं। इस प्रकार छात्रों का पूरा एक साल बर्बाद हो गया। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने स्क्रूटनी कार्य की सुविधा के लिए इस साल इलाहाबाद बैंक के जरिये जिलों में इच्छुक परीक्षार्थियों से आवेदन व शुल्क जमा कराया था। हालांकि इससे परीक्षार्थियों को परेशानी कम जरूर हुई क्योंकि उन्हें आवेदन देने के लिए परीक्षा समिति मुख्यालय में नहीं आना पड़ा था। मगर उन्हें क्या पता था कि आवेदन जमा तो आसानी से हो गया, किंतु स्क्रूटनी व रिजल्ट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। अब स्थिति यह है कि आये दिन परीक्षार्थी उच्च माध्यमिक प्रभाग में दौड़ लगा रहे हैं। फिर भी उनके समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। उच्च माध्यमिक प्रभाग में बेगूसराय की परीक्षार्थी नीलम कुमारी व निधि ने बताया कि इलाहाबाद बैंक के माध्यम से जिले में ही स्क्रूटनी के लिए आवेदन व शुल्क जमा किया था। मगर अब तक स्क्रूटनी कार्य शुरू नहीं हुआ है। रिजल्ट का पता लगाने हर महीने आती हूं तो पूछताछ काउंटर पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है। पूछताछ काउंटर पर बुधवार को दर्जनों परीक्षार्थी मिले, जो स्क्रूटनी नहीं होने से परेशान थे। डीएन कालेज, मसौढ़ी के छात्र रामनरेश और रंजीत ने बताया कि स्क्रूटनी कार्य नहीं होने से भविष्य चौपट हो गया है। कहीं भी नामांकन नहीं ले पाया। इसके लिए कौन लोग जिम्मेवार हैं? हालांकि काउंटर पर तैनात कर्मचारी ने भी छात्रों की परेशानी को स्वीकार किया।
शनिवार, 28 अगस्त 2010
नितीश की लालफीताशाही, हजारो छात्र अधर में.
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