चीन ने एक बार फिर उकसाने वाली हरकत करते हुए कश्मीर में तैनात भारत के बड़े सैन्य अफसर को वीजा देने से मना कर दिया है। चीन की दलील है कि कश्मीर विवादित क्षेत्र है और वहां की कमान संभाल रहे सैन्य अफसर का चीन स्वागत नहीं कर सकता। जवाब में भारत ने भी सख्त कदम उठाते हुए चीनी सेना के दो अफसरों की यात्रा को मंजूरी देने से मना कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने चीन के राजदूत को इस मामले में तलब कर सफाई मांगी। भारत में बढ़ते बवाल को देखते हुए चीन ने यह फैसला किया है कि उसकी सेना का एक अफसर अगले महीने इस मामले को सुलझाने के लिए भारत का दौरा करेगा।
भारतीय सेना के नॉर्दर्न एरिया कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल बीएस जसवाल को जुलाई में चीन जाना था। इसके लिए भारतीय सेना ने जून से ही तैयारी शुरू कर दी थी। चीन ने जसवाल के नाम पर यह कहते हुए आपत्ति जाहिर कर दी कि जसवाल जम्मू-कश्मीर के विवादित क्षेत्र को 'नियंत्रित' करते हैं। चीन की आपत्ति के बाद जसवाल का वीज़ा रोक दिया गया।
भारत में चीन के राजदूत झैंग यान को शुक्रवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के आला अफसरों ने तलब किया। इससे पहले चीनी दूतावास की ओर से जारी बयान में कहा गया कि दूतावास को वीज़ा न दिए जाने के बारे में मालूम तो है, लेकिन पूरी जानकारी नहीं है।
चीन के वीजा देने से इनकार करने पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए चीनी सेना के दो अफसरों को भी भारत आने की इजाजत देने से मना कर दिया गया है। ये दोनों अफसर नेशनल डिफेंस कॉलेज में ट्रेनिंग के लिए आने वाले थे। भारत ने रक्षा संबंधी आदान-प्रदान पर भी फिलहाल रोक लगा दी है। चीन को इन फैसलों की वजह की जानकारी भी दे दी गई है ताकि इस मामले में कोई भ्रम की स्थिति न रहे। सूत्र बताते हैं कि जल्द ही चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य भारत आने वाले हैं। संभवत: उनके सामने यह मुद्दा उठ सकता है।
भारत और चीन के बीच इसी साल जनवरी में जनरल रैंक के अफसरों की एक-दूसरे के देश की यात्रा कराने पर सहमति बनी थी। जसवाल इसी सहमति के तहत चीन जाने वाले थे। हालांकि, उस समय यह तय नहीं किया गया था कि कौन से अफसर इस तरह की यात्रा पर जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक भारत ने जब जनरल जसवाल को चीन के दौरे पर भेजने के अपने फैसले की जानकारी चीन को दी तो चीन ने कहा कि जसवाल जम्मू-कश्मीर जैसा संवेदनशील सूबा संभालते हैं और इस इलाके के लोगों के लिए अलग तरह के वीज़ा की जरूरत होती है। सूत्र यह भी बताते हैं कि चीन का जवाब जसवाल की यात्रा की तारीख के आसपास आया, जिसके चलते मामले को सुलझाया नहीं जा सका।
इस बीच, जनरल जसवाल ने कहा है, 'मुझे बताया गया है कि मेरी चीन यात्रा कुछ समय के लिए टाल दी गई है। लेकिन मुझे यह नहीं मालूम है कि ऐसा क्यों हुआ।' उधर, हैदराबाद में रक्षा मंत्री ए.के.एंटनी ने चीन से रक्षा संबंध तोड़े जाने की ख़बर का खंडन किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने कहा है कि चीन को भारत की चिंताओं को लेकर संवेदनशील होना होगा।
भारत ने चीन के फैसले को उकसाने वाला माना है क्योंकि अगस्त, 2009 में तत्कालीन जीओसी-इन-सी ईस्टर्नकमांड लेफ्टिनेंट जनरल वी.के.सिंह चीन गए थे। भारत का मानना है कि अगर चीन को ऐसे ऐतराज थे तब वी.के.सिंह की यात्रा पर भी सवाल उठने चाहिए थे क्योंकि उस समय ईस्टर्न कमांड संभाल रहे वी.के.सिंह के ही तहत अरुणाचल प्रदेश का इलाका आता था, जिसको लेकर चीन समय-समय पर अपना दावा करता रहा है।
चीन कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत को घेरता रहा है। कुछ महीने पहले तक वह जम्मू-कश्मीर के निवासियों को उनका वीजा उनके पासपोर्ट पर चिपकाने के बजाय अलग पन्ने पर नत्थी कर देता था। भारत ने इस पर जबरदस्त आपत्ति की थी। चीन अरुणाचल प्रदेश के निवासियों को भी वीज़ा नहीं देता है। उसकी दलील है कि अरुणाचल प्रदेश के निवासी चीन के नागरिक हैं।
शनिवार, 28 अगस्त 2010
चीन का भारतीय सैन्य अफसर को वीजा देने से इंकार !!
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