सारंडा के जंगलों में सुरक्षाबलों के साथ जारी मुठभेड़ में सोमवार को 18 नक्सली ढेर हो गए। दस गंभीर रूप से घायल हैं। तीन जवान भी शहीद हुए। झारखंड और उड़ीसा पुलिस ने केंद्रीय बलों के साथ शनिवार से नक्सलियों के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है।
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी आरके मल्लिक ने बताया कि जवान देर शाम तक नक्सलियों से लोहा लेते रहे। इनका ध्यान बांटने के लिए नक्सलियों ने एक दर्जन से अधिक धमाके किए। दिनभर कार्रवाई के बाद जवान शाम को बेस कैंप लौट आए। उधर, नक्सली प्रवक्ता समरजी का दावा है कि उनके किसी भी साथी को न तो गोली लगी है और न ही कोई गिरफ्तार हुआ है।
सीआरपीएफ की 203 कोबरा बटालियन के शहीद जवान जयमाल सिंह का शव सोमवार को सेवा विमान से दिल्ली ले जाया गया। वहां से अमृतसर भेजा जाएगा। इसके पहले शव को बीएसएफ के हेलीकॉप्टर से रांची लाया गया था।
नक्सली कार्रवाई के विरोध में ढाई सौ लोग मेदनीपुर के जिडनी गांव के पास रेलवे ट्रैक पर बैठ गए। दोपहर बारह बजे से यहां ट्रेनों का आवागमन बाधित है। कुछ ट्रेनों को रोका गया है। कई को रद्द किया गया है। 28 मई को ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस यहीं दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। गीताजंलि एक्स खड़गपुर स्टेशन पर है। मुंबई-हावड़ा, जनशताब्दी एक्स, टाटा—टिटलागढ़ एक्सप्रेस, को टाटा में रोका गया है।
नक्सलियों ने चाईबासा जिले के आनंदनगर प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित पंचायत भवन और हॉस्टल को रविवार रात एक बजे उड़ा दिया। पंचायत भवन में सीआरपीएफ का कैंप बनाया गया था, लेकिन अगस्त में ही इसे खाली कर दिया गया था। हॉस्टल में बच्चे नहीं थे। कोल्हान डीआईजी नवीन कुमार सिंह ने कहा कि नक्सलियों ने अभियान से घबराकर इस घटना को अंजाम दिया है।
सारंडा के दीघा और तिरिलपोसी के बीच मुख्य सड़क पर बोरे में एक शव दोपहर दो बजे से पड़ा है। इसके पास टोपी, जूता व खून से सना बैग भी है। शव की शिनाख्त नहीं हो पाई है।
मंगलवार, 28 सितंबर 2010
नक्सली के साथ मुठभेड़ में जवान शहीद !!
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