मनुष्य पर अपना प्रेम प्रदर्शन करने की ईश्वरीय इच्छा की
सबसे अच्छी मानवीय अभिव्यक्ति मित्रता है| ईश्वरीय नियम
से आकर्षित होकर ही पारस्परिक स्वाभाविक मित्रता का
उदय होता है| जब तक यह मैत्री भाव स्वार्थ लोलुपता
और भिन्नलिंगीय आकर्षण से प्रदूषित नहीं होता,
तब तक यह भावना शुद्ध है|
1 टिप्पणी:
yes, agree with it.
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