नई दिल्ली | देश के सबसे बड़े वित्तीय घोटाले की शिकार सत्यम कंप्यूटर (अब महिंद्रा सत्यम) ने आखिरकार वित्त वर्ष 2008-09 और 2009-10 के वित्तीय नतीजे घोषित कर दिए। कंपनी ने सितंबर, 2008 के बाद पहली बार वित्तीय परिणाम जारी किए हैं। खातों में हेराफेरी के चलते कंपनी लॉ बोर्ड ने सत्यम को नतीजे देरी से जारी करने की छूट दी थी। कंपनी ने बुधवार को बताया कि वर्ष 2009-10 में उसे 124.6 करोड़ रुपये का एकीकृत नुकसान हुआ। जबकि, वित्त वर्ष 2008-09 में 8,176.8 करोड़ रुपये का शुद्ध एकीकृत घाटा हुआ था। उद्योग जगत को इन आंकड़ों का बेसब्री से इंतजार था, ताकि घोटाले के बाद कंपनी की वित्तीय स्थिति का पता लग सके। मार्च, 2010 को समाप्त वित्त वर्ष में महिंद्रा सत्यम ने अपने कर्मचारियों पर केवल 3,981.1 करोड़ रुपये खर्च किए। वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान इस मद में 6,073.7 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। 31 मार्च, 2010 तक कंपनी के पास नकदी और बैंक बैलेंस मिलाकर कुल 2,176.8 करोड़ रुपये थे। इसी अवधि तक कंपनी पर 422 करोड़ रुपये का कर्ज था। महिंद्रा सत्यम के सीईओ सीपी गुरनानी ने कहा कि दो साल के भीतर कंपनी मुनाफे में आ जाएगी। पिछले वित्त वर्ष के दौरान कंपनी ने कुल 5,481 करोड़ रुपये की कमाई की। वर्ष 2008-09 में यह 8,812.6 करोड़ रुपये थी। कंपनी के चेयरमैन विनीत नायर ने कहा कि वित्तीय नतीजों की घोषणा के साथ ही हमने अपना एक महत्त्वपूर्ण वादा निभा दिया है। बकौल नायर यह नतीजे भविष्य में कंपनी की विकास यात्रा की शुरुआत भी है। मालूम हो कि टेक महिंद्रा ने अप्रैल, 2009 में संकटग्रस्त सत्यम कंप्यूटर का अधिग्रहण किया था। इसी के बाद कंपनी ने सत्यम कंप्यूटर का नाम बदलकर महिंद्रा सत्यम रख दिया। जानकारों के मुताबिक बाजार को कंपनी से ज्यादा मुनाफे की उम्मीद थी। अनुमान है कि इन नतीजों से कंपनी के शेयरों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। हालांकि कुछ जानकारों की नजर में प्रबंधन ने एक अच्छा काम यह किया है कि एक ही बार में कंपनी की बैलेंसशीट को साफ सुथरा बना दिया है। पिछले दो साल की अवधि के दौरान कंपनी की देनदारियों समेत कई वित्तीय बकायों को कंपनी ने एक बार में ही निपटा दिया है। इस मद में कंपनी ने साढ़े आठ हजार करोड़ रुपये का प्रावधान (प्रोविजनिंग) किया है। जानकारों का मानना है कि प्रोविजनिंग की इस राशि को जोड़ा जाए तो कंपनी मुनाफे में आ जाएगी। इतना ही नहीं बाजार के जानकारों को लग रहा था कि कंपनी तिमाही आधार पर नतीजों की घोषणा करेगी। लेकिन कंपनी ने सालाना आधार पर नतीजे घोषित किए हैं जिसकी वजह से आंकड़ों में बदलाव दिखा है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इसका एक फायदा यह हुआ है कि अब कंपनी के अगले नतीजों से कंपनी की वास्तविक तस्वीर एकदम स्पष्ट हो जाएगी। उसके बाद कंपनी में निवेश के बारे में फैसले लेने में ज्यादा आसानी होगी।
पिछले हफ्ते महिंद्रा सत्यम ने कहा था कि वह अक्टूबर के मध्य तक न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज से डीलिस्ट हो जाएगी। कंपनी ने आशंका जताई थी कि वह अमेरिकी अकाउंटिंग स्टैंडर्ड्स के तहत वित्त वर्ष 2009 के वित्तीय नतीजे तय समय से पहले घोषित नहीं कर पाएगी। वित्तीय नतीजे आने की उम्मीद में सितंबर में कंपनी के शेयरों में 24 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया। इसी महीने डीलिस्टिंग की खबर से पहले कंपनी के शेयरों में 42 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी
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