बिहार में जदयू से खटास भरे रिश्तों के चलते संयुक्त प्रचार अभियान को गहरा झटका लगा है, भाजपा के नेता वहां खुलकर प्रचार नहीं कर पा रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भाजपा के किसी भी बड़े नेता के साथ संयुक्त सभा होने की संभावना नहीं है। पहले चरण में मुस्लिम बहुल क्षेत्र में चुनाव होने के कारण अयोध्या आंदोलन से जुड़े रहे लालकृष्ण आडवाणी समेत तमाम बड़े नेता प्रचार अभियान से दूर ही हैं।
बिहार में भाजपा व जदयू के बीच का तनाव नरेंद्र मोदी को प्रचार से दूर रखने के चलते भले ही कम हो गया हो, लेकिन अयोध्या मामले में हाईकोर्ट के फैसले से दोनों दल फिर से खिंचे-खिचे हैं। ऊपर से सीटों के बंटवारे ने संकट और बढ़ा दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के किसी भी बड़े नेता के साथ चुनाव प्रचार अभियान में शामिल नहीं हो रहे हैं। इतना ही नहीं, अभी तक दोनों दलों का संयुक्त प्रचार अभियान भी अधर में है। हालांकि भाजपा प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि दोनों दलों में पूरा सामंजस्य है और दोनों दलों के नेता एक-दूसरे की सीटों पर प्रचार कर रहे हैं।
दरअसल दोनों दलों का संयुक्त अभियान का कार्यक्रम अभी तक बना ही नहीं है। इसीलिए कोई कुछ नहीं कह पा रहा है। हालांकि दोनों दल प्रचार के विज्ञापनों में जरूर एक साथ दिखेंगे। आडवाणी के प्रचार के बारे में पूछे जाने पर शाहनवाज हुसैन ने कहा कि उनका कार्यक्रम बन रहा है और वे दूसरे चरण में प्रचार करेंगे। वह कुल पांच दिन प्रचार करने जाएंगे। अन्य नेताओं में नितिन गडकरी व अरुण जेटली आठ-आठ दिन, सुषमा स्वराज दस दिन, राजनाथ सिंह 12 दिन, कलराज मिश्र आठ दिन व शत्रुघ्न सिन्हा 24 अक्टूबर के बाद प्रचार अभियान में उतरेंगे। डॉ. मुरली मनोहर जोशी का कार्यक्रम भी बन रहा है। भाजपा की राज्य इकाई की कोशिश है कि आडवाणी पहले चरण में भी एक दिन के लिए आ जाएं।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें