मोदी और सुषमा के बहाने बीजेपी में लड़ाई. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010

मोदी और सुषमा के बहाने बीजेपी में लड़ाई.

बीजेपी के शीर्ष नेताओं में एक बार फिर खुली कलह दिखाई पड़ने लगी है. सुषमा स्वराज और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी खुलकर भिड़ते दिखाई पड़ रहे हैं. विज्ञापनों से लेकर कर्नाटक के बागियों तक दोनों में खुली लड़ाई छिड़ी.


लोकसभा में विपक्षी की नेता सुषमा स्वराज के बयान से नरेंद्र मोदी आहत हैं. सूत्रों के मुताबिक मोदी ने इस सिलसिले में पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी से शिकायत भी की है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के नेताओं को उन पर खुली टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. सुषमा स्वराज ने हाल ही में कहा था कि, ''गुजरात में मोदी का जादू बढ़िया चला, उन्होंने पंचायत चुनाव में शानदार जीत हासिल की. लेकिन उनके जादू की और जगह जरूरत नहीं है.''

मोदी को बीजेपी का स्टार प्रचारक माना जाता है. मीडिया की भाषा में उनके प्रचार को मोदी मैजिक कहा जाता है. इससे पहले बुधवार को ही एक विज्ञापन के जरिए भी सुषमा स्वराज पर निशाना साधा गया. गुजरात में स्थानीय चुनावों में बीजेपी ने जोरदार प्रदर्शन किया.


इसके हवाले से दिल्ली के कई अखबारों में प्रकाशित एक विज्ञापन में कहा गया, '' नरेंद्र मोदी गुजरात को विकास के रास्ते पर ले जाने के बाद आइए, भयंकर मुश्किलों से जूझते देश को निर्णायक दिशा दीजिए.'' ये विज्ञापन बीजेपी के मोदी धड़े ने दिया है. इसका सीधा अर्थ है कि मोदी को केंद्र की राजनीति में आना चाहिए. पार्टी का एक धड़ा मानता है कि केंद्रीय नेतृत्व के नेता सिर्फ टीवी स्टूडियो में बैठकर बातों के महल खड़ा सकते हैं.

मोदी और सुषमा स्वराज बीजेपी में दूसरी पंक्ति के नेता है. दोनों में काफी समय से तकरार होती आ रही है. जसवंत सिंह, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और लालकृष्ण आडवाणी की कलह को खत्म करने के लिए आरएसएस ने नितिन गडकरी को अध्यक्ष बनाया. कुछ समय विवाद शांत भी रहे. लेकिन अब फिर साफ हो गया है कि वह बीजेपी ही क्या जिसके नेता आपस में न झगड़े.


कोई टिप्पणी नहीं: