गुलाम खेल का शानदार समापन ! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 16 अक्टूबर 2010

गुलाम खेल का शानदार समापन !

कॉमनवेल्थ- गुलाम खेल समारोह का शानदार समापन हो गया। गुलामों ने पदकों का शतक बनाया और दीवाली के पहले ही जश्न मना कर कॉमनवेल्थ खेलों के सहारे अपनी गुलामी को गर्व से याद किया।

अब कॉमनवेल्थ आयोजन समिति और इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश कलमाडी और उनके गिरोह की पड़ताल होने की बारी है। पहले से ही दर्जनों बड़े घपले जांच की कतार में और अचानक कलमाडी का एक और घपला ऐसा मिला जिसमें वे इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष के तौर पर शामिल हैं, अपने बेटे सुमीर कलमाडी को भी रईस बनाना चाहते हैं। इस धोखाधड़ी में उनकी मदद की जेपी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और जेपी समूह के संस्थापक जयप्रकाश गौर के पुत्र मनोज गौर ने।

जेपी समूह को आम तौर पर टाटा की तरह साफ सुथरी कंपनी माना जाता है। जयप्रकाश गौर ने एक मामूली जूनियर इंजीनियर से आगे बढ़ क़र इसकी शुरूआत मध्य प्रदेश के रीवा जिले से की थी और सीमेंट ढोने का काम शुरू किया था। आज वे भारत के बड़े रईसों की सूची में हैं और कई ऐेसे व्यापारकि सौंदे हैं जहां सुपर रईस टाटा और अंबानी को मात देना चाहते हैं।

सुरेश कलमाडी ने दो साल पहले ऐलान किया था कि फॉर्मूला वन मोटर रेसिंग एफ 1 से समझौता हो गया हैं और भारत में जल्दी ही एफ 1 मोटर चैंपियनशिप दिखाई पड़ेगी। कलमाडी ने यह नहीं बताया था कि उनका बेटा सुमीर कलमाडी, बेटी और दामाद भी यह आयोजन करने वाली भारतीय कंपनी के डायरेक्टर होंगे।

कौन सा भारतीय नेता कारोबार करने में अपनी जेब से पैसा लगाता है? कितने समृध्द व्यापारी और कारोबारी ऐसे होते हैं जो राजनेताओं की कृपा पाने के लिए मोटी रकमें खर्च नहीं करते? अक्टूबर में ही ब्रिटेन की फॉर्मूला वन करवाने वाली एसोसिएशन ने एक भारतीय कंपनी के साथ 1600 करोड़ रुपए का अनुबंध किया। कंपनी का नाम है जेपीएसके स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड।

इस कंपनी जेपीएसके में जेपी जयप्रकाश का है और एसके सुमीर कलमाडी का। 74 प्रतिशत शेयर्स जयप्रकाश एसोसिएट्स के हैं। पुणे में सुमीर कलमाडी द्वारा चलाई जा रही बिल्डर कंपनी सुल्बा रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड के 13 प्रतिशत है और उतने ही शेयर कलमाडी कीे बेटी और दामाद के ट्रैक वर्क इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के हैं। दिल्ली की एक कागजी कंपनी के नाम भी कुछ शेयर्स रखे गए हैं। यह समझौता 16 नवंबर 2007 को हुआ था। जेपी को मायावती ने जो अपार जमीन दे रखी है उसमें से 2500 एकड़ इस धंधे के लिए रखे गए। इनमें से एक हजार एकड़ में रेसिंग के लिए ट्रैक बनना था और बाकी में जो इमारते बनती उसमें से जेपी, सुल्बा और ट्रैक वर्क को साझेदारी करनी थी। सबसे बड़ा हिस्सा जेपी को मिलना था। वाणिज्य मंत्रालय के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के रिकॉर्ड बताते हैं कि जेपीएसके कंपनी में बनने के एक साल बाद कलमाडी कीे बेटी पायल और दामाद आदित्य भरतियां निदेशक के तौर पर शामिल हुए और जेपी समूह वाले बहुत गर्व से कहते हैं कि ये नए निदेशक भी बहुत दिलचस्पी ले कर काम कर रहे हैं। सुमीर कलमाडी तो बार बार अपना फोन काटते ही रहे लेकिन पिता जी सुरेश कलमाडी ने फोन उठाने की कृपा की और कहा कि इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के पास इतना पैसा नहीं था कि इतना बड़ा आयोजन कर सके इसलिए गैर सरकारी भागीदारी लेनी पड़ी। यह भाषा लगभग सात हजार करोड़ का कॉमनवेल्थ करवाने वाले सुरेश कलमाडी की है और वे अपने बेटे सुमीर के अलावा जयप्रकाश गौर के बेटे मनोज गौर को भी बचा रहे हैं। उधर सुमीर कलमाडी ने कहा कि मैं तो आम तौर पर विदेश में रहता हूं और जब लौटूंगा तब बात करूंगा। इतना हराम का पैसा हो तो कोई भी चाहे जितने दिन तक विदेश में रहे।

मनोज गौर को खोजने के लिए सबसे कम मेहनत करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि ट्रैक वर्क के सुंदर मूलचंदानी ने उनका परिचय एफ 1 आयोजित करने वाली कंपनी से करवाया था और यही मूलचंदानी सुमीर कलमाडी को ले कर आया था। मनोज गौर का जो बचकाना हिसाब किताब है उसके अनुसार 1600 करोड़ के अलावा जो 2500 एकड़ जमीन जेपी समूह को लगानी है उसका दाम एक करोड़ रुपए प्रति एकड़ है। यहां मनोज गौड़ ने अपने जेपी समूह और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती दोनाें को फंसवा दिया।

हाल में ही अलीगढ़ और मथुरा के पास किसानों ने अपनी जमीन का दाम बहुत कम लगाए जाने को ले कर बहुत हंगामेदार आंदोलन किया था और तब मायावती ने कहा था कि किसानों को उचित कीमत और वार्षिक भुगतान अगले तीस साल तक किया जाएगा। फिर भी किसानों को लूटा गया। जेपी के खजाने और मायावती का पर्स भरा गया। इसमें अब किसी को संदेह नहीं रह गया है।

जय प्रकाश गौर चालाक आदमी है। वे अपने फायदे के लिए किसी को भी आफत में फंसा सकते हैं। बेटे मनोज को भी उन्होंने यही संस्कार दिए हैं। यमुना एक्सप्रेस वे, आने वाले गंगा एक्सप्रेस वे दोनों में उन्हे ठेका देने में धांधली की गई। इस बात की बाकायदा शिकायते आ चुकी है कि गंगा एक्सप्रेस वे का ठेका देने में हालांकि जेपी समूह तीसरे नंबर पर था मगर अंबानी और एक और बड़े उद्योग समूह को किनारे कर के इस कंपनी को उपकार बेचा गया। मध्य प्रदेश के अन्यथा निर्विवाद और झमेलों में नहीं पड़ने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की पत्नी को डंपर घोटाले में फंसवाने वाला भी जेपी समूह ही था। जेपी के दिए इस कलंक को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सलीब की तरह ढो रहे हैं। मायावती और कलमाडी की पड़ताल होगी तो जयप्रकाश समूह और मनोज गौर दोनों अभियुक्तों की कतार में नजर आएंगे।

--आलोक तोमर--
डेट लाइन इंडिया डाट कॉम

1 टिप्पणी:

indian citizen ने कहा…

कौन करेगा इन्हें सलाखों के पीछे....