अजमेर ब्लास्ट, संघ का बढ़ता नाम. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 27 अक्तूबर 2010

अजमेर ब्लास्ट, संघ का बढ़ता नाम.

मध्य प्रदेश के देवास जिले में दिन दहाड़े मारे गए संघ के नेता सुनील जोशी की भूमिका भी अजमेर धमाकों में संदेह के घेरे में है। मालूम हो कि 2007 में हुए अजमेर धमाकों में संघ के नेता इंद्रेश कुमार का नाम सामने आने के बाद राजस्थान एटीएस संघ से ही संबंधित रहे इस नेता की हत्या पूर्व की गतिविधियों की जांच कर रही है।

दरअसल, मध्य प्रदेश में संघ के पूर्व प्रचारक सुनील जोशी का नाम पूरी कहानी में काफी रहस्यमय रहा है। 2007 में एमपी के ही देवास जिले में जोशी की दिन दहाड़े हत्या कर दी गई थी। अजमेर ब्लास्ट पर राजस्थान एटीएस की चार्जशीट में सुनील जोशी का भी नाम शामिल है। हालांकि सुनील जोशी की मौत के तीन साल बाद भी मध्य प्रदेश पुलिस गुनहगारों का कोई सुराग नहीं लगा सकी है।


सुनील जोशी की हत्या से जुड़े तमाम सवालों का हल ढूंढने में नाकामयाब रही मध्य प्रदेश पुलिस ने इस केस को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया। यह सब तब हुआ जब जोशी संघ के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता थे। जोशी के एक संबंधी इस बारे में कहते हैं कि हत्या से जुड़ा यह केस काफी पेचीदा और सवालों भरा रहा है इसलिए अभी तक इसको हल नहीं किया जा सका है।

मालूम हो कि बीते कुछ सालों में आतंकी गतिविधियों में एमपी के बड़े नामों में जोशी अकेले ही नहीं हैं। जोशी के अलावा साध्वी प्रज्ञा सिंह, संदीप डांगे, देवेंद्र गुप्ता, समंदर और शिवम ढाकर के भी नाम सामने आ चुके हैं। बड़ी बात यह कि यह सभी सुनील जोशी के साथ कई सालों तक काम कर चुके हैं।

सुनील जोशी ने इन सभी को संघ प्रचारक इंद्रेश के संपर्क में लाने के लिए अहम भूमिका अदा की। संघ प्रचारक इंद्रेश का नाम अजमेर धमाकों से जुड़े मुख्य सूत्रधार के रूप में सामने आ रहा है। देवास में जिस जगह सुनील जोशी की हत्या हुई वहां उनके अलावा 4 अन्य लोग भी उनके साथ थे जिनमें राज, मेहुल, घनश्याम और उस्ताद थे। जोशी की हत्या के बाद ये चारों बड़े ही अजीब ढंग से गायब हो गए, इनके बारे में आज तक पता नहीं लग सका है।

राजस्थान एटीएस बड़ी बारीकी से सुनील जोशी की डायरी की जांच कर रही है। डायरी से संघ के कई बड़े नेताओं के साथ जोशी के संबंधों का खुलासा हुआ है। दरअसल, संगठन के अंदर जोशी का काम सभी को जिम्मेदारियां देने का रहा था। इसी तरह से लोकेश शर्मा और रामजी कालसंगरा का काम हथियार सामग्री इकट्ठा करने का था। देवेंद्र गुप्ता का काम मोबाइल फोम और सिम कार्ड इकट्ठा करना था जिसे वारदात के समय इस्तेमाल में लाया जाता था।

अजमेर धमाके के वक्त दोनों ही राज्य (मध्य प्रदेश, राजस्थान) में बीजेपी की सरकार थी। इसलिए सवाल यह पैदा होता है कि धमाकों से जुड़ी यह सब जानकारी पहले सामने क्यों नहीं आई। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान गुजरात नहीं है जहां झूठे एनकाउंटर में पहले सोहराबुद्दीन को मार दिया जाए और फिर सीनियर आईपीएस अफसर को गिरफ्तार किया जाए।

इस बीच इंद्रेश कुमार का नाम आने के बाद भी उनपर कार्रवाई न होने से राजस्थान एटीएस पर भी दबाव बना है। इसके बाद यह संभावना बढ़ गई है कि एटीएस द्वारा पेश की जाने वाली एक अलग चार्जशीट में मध्य प्रदेश से और भी बड़े नामों का खुलासा हो।


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