इस खुलासे पर अमेरिका भड़क गया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पी जे क्राउले ने कहा, ‘हमारे राजनयिकों द्वारा जुटाई गई सूचनाएं हमारी नीतियों और कार्यक्रमों को अमली जामा पहनाने में मददगार होती हैं। हमारे राजनयिक ‘डिप्लोमैट्स’ ही हैं जासूस नहीं।’ अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने विकीलीक्स की हरकत को गैरजिम्मेदाराना करार दिया है। साथ ही पेंटागन ने इन सूचनाओं की गोपनीयता बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
विकीलीक्स ने इस बार अमरीकी दूतावासों की ओर से भेजे गए जिन करीब ढाई लाख संदेशों को सार्वजनिक किया है, उनमें से 3038 संदेश नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास से भेजे गए हैं।
विकीलीक्स के खुलासे के मुताबिक पाकिस्तान को खुश करने के लिए तुर्की ने इस साल की शुरुआत में अपने यहां आयोजित अहम बैठक में भारत को नहीं बुलाया। आतंकवाद के मसले पर आपसी सहयोग के लिए बातचीत के लिए इस्तांबुल में बुलाई गई इस बैठक में पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई के अलावा अमेरिका के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था।
भारत से जारी बाकी संदेशों का ब्यौरा अभी तक सामने नहीं आ पाया है। भारत के विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने कहा है कि विकीलीक्स के खुलासे से भारत को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि हमारी उत्सुकता इस बात को लेकर है कि आखिर अमेरिकी प्रशासन भारत के बारे में क्या सोचता है।
श्रीलंका दौरे से नई दिल्ली लौटते समय कृष्णा ने पत्रकारों से कहा, ' भारत सरकार इन दस्तावेजों को लेकर वाकई चिंतित नहीं है लेकिन यह रोचक होगा कि इनमें क्या खुलासा होता है क्योंकि विकीलीक्स ने चार लाख संदेश जारी करने को कहा है।'
विकीलीक्स की ओर से जारी दस्तावेजों में भारत स्थित अमेरिकी दूतावास की ओर से भेजे गए संदेशों के अलावा पड़ोसी देशों में स्थित अमेरिकी दूतावासों की ओर से भेजे गए संदेश भी हैं। ऐसी खबर है कि काठमांडू स्थित अमेरिकी मिशन से 2278 संदेश, कोलंबो से 3325 संदेश और इस्लामाबाद से 2220 संदेश भेजे गए हैं।
विकीलीक्स की ओर से ताजा जानकारी में अमेरिका की उन चिंताओं को सार्वजनिक किया गया है, जो दुनियाभर के कई देशों से जुड़ी हुई है और अमेरिका को भी परेशान करती हैं। अमेरिका की तमाम आपत्तियों के बावजूद विकिलीक्स ने ये जानकारी सार्वजनिक की है। इन जानकारियों में अरब देशों का भी जिक्र है। इसमें बताया गया है कि सऊदी अरब के शाह ने अमरीका से ईरान पर हमला करने का अनुरोध किया था और उनके परमाणु कार्यक्रमों को खत्म करने की अपील की थी। अमेरिका का मानना है कि चीन के हुक्मरान ने सर्च इंजन की दुनिया के महारथी गूगल और पश्चिमी देशों में कई सरकारी कम्प्यूटरों की हैकिंग के लिए अभियान चलाया है।
अमरीका ने इन जानकारियों को सार्वजनिक करने की आलोचना की है। अमरीका ने पहले भी विकिलीक्स से अपील की थी कि वो ऐसी जानकारियां सार्वजनिक न करे। इन जानकारियों के लीक होने के बाद व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी करके इसकी आलोचना की है। व्हाइट हाउस ने कहा, 'राष्ट्रपति बराक ओबामा देश-दुनिया में विश्वसनीय, ज़िम्मेदारीपूर्ण और पारदर्शी सरकार का समर्थन करते हैं, लेकिन इस ग़ैर ज़िम्मेदारी वाले और खतरनाक कदम से इस लक्ष्य को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। हम इन गोपनीय जानकारियों को सार्वजनिक करके के फैसले की कड़ी आलोचना करते हैं।'
श्रीलंका दौरे से नई दिल्ली लौटते समय कृष्णा ने पत्रकारों से कहा, ' भारत सरकार इन दस्तावेजों को लेकर वाकई चिंतित नहीं है लेकिन यह रोचक होगा कि इनमें क्या खुलासा होता है क्योंकि विकीलीक्स ने चार लाख संदेश जारी करने को कहा है।'
विकीलीक्स की ओर से जारी दस्तावेजों में भारत स्थित अमेरिकी दूतावास की ओर से भेजे गए संदेशों के अलावा पड़ोसी देशों में स्थित अमेरिकी दूतावासों की ओर से भेजे गए संदेश भी हैं। ऐसी खबर है कि काठमांडू स्थित अमेरिकी मिशन से 2278 संदेश, कोलंबो से 3325 संदेश और इस्लामाबाद से 2220 संदेश भेजे गए हैं।
विकीलीक्स की ओर से ताजा जानकारी में अमेरिका की उन चिंताओं को सार्वजनिक किया गया है, जो दुनियाभर के कई देशों से जुड़ी हुई है और अमेरिका को भी परेशान करती हैं। अमेरिका की तमाम आपत्तियों के बावजूद विकिलीक्स ने ये जानकारी सार्वजनिक की है। इन जानकारियों में अरब देशों का भी जिक्र है। इसमें बताया गया है कि सऊदी अरब के शाह ने अमरीका से ईरान पर हमला करने का अनुरोध किया था और उनके परमाणु कार्यक्रमों को खत्म करने की अपील की थी। अमेरिका का मानना है कि चीन के हुक्मरान ने सर्च इंजन की दुनिया के महारथी गूगल और पश्चिमी देशों में कई सरकारी कम्प्यूटरों की हैकिंग के लिए अभियान चलाया है।
अमरीका ने इन जानकारियों को सार्वजनिक करने की आलोचना की है। अमरीका ने पहले भी विकिलीक्स से अपील की थी कि वो ऐसी जानकारियां सार्वजनिक न करे। इन जानकारियों के लीक होने के बाद व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी करके इसकी आलोचना की है। व्हाइट हाउस ने कहा, 'राष्ट्रपति बराक ओबामा देश-दुनिया में विश्वसनीय, ज़िम्मेदारीपूर्ण और पारदर्शी सरकार का समर्थन करते हैं, लेकिन इस ग़ैर ज़िम्मेदारी वाले और खतरनाक कदम से इस लक्ष्य को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। हम इन गोपनीय जानकारियों को सार्वजनिक करके के फैसले की कड़ी आलोचना करते हैं।'
विकिलीक्स के संस्थापक जुलियन असांजे का कहना है कि अमरीकी अधिकारी अपने कामों की ज़िम्मेदारी स्वीकार करने से डरते हैं। इससे पहले भी विकिलीक्स ने इराक और अफगानिस्तान में अमरीकी नीतियों से संबंधित दस्तावेज लीक किए थे।
विकिलीक्स के डायरेक्टर जूलियन असैंज ने कहा कि नए खुलासे में करीब करीब सभी देशों के सभी बड़े मामलों का उल्लेख है।
विकिलीक्स की वेबसाइट किसी अज्ञात व्यक्ति ने हैक कर ली है। साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि विकिलीक्स को डिस्ट्रिब्यूशन डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) प्रणाली से हैक किया गया है। साइट पर लगातार ट्रैफिक आने के कारण सर्वर जाम हो गया और बाद में साइट खुलना ही बंद हो गई। वैसे विकीलिक्स ढाई लाख से में अधिकतर संदेश अपनी वेबसाइट पर नहीं डाल सका है। अन्य संदेशों के सार्वजनिक होने के बाद कई और सनसनीखेज खुलासे सामने आने की संभावना है।
विकिलीक्स की वेबसाइट किसी अज्ञात व्यक्ति ने हैक कर ली है। साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि विकिलीक्स को डिस्ट्रिब्यूशन डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) प्रणाली से हैक किया गया है। साइट पर लगातार ट्रैफिक आने के कारण सर्वर जाम हो गया और बाद में साइट खुलना ही बंद हो गई। वैसे विकीलिक्स ढाई लाख से में अधिकतर संदेश अपनी वेबसाइट पर नहीं डाल सका है। अन्य संदेशों के सार्वजनिक होने के बाद कई और सनसनीखेज खुलासे सामने आने की संभावना है।
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