दखल भारत पाकिस्तान के आग्रह पर ही. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 15 नवंबर 2010

दखल भारत पाकिस्तान के आग्रह पर ही.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की निगरानी वाली विवादों की सूची से कश्मीर को बाहर निकाले जाने पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई है। इस महीने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता ब्रिटेन के पास है। सुरक्षा परिषद में सालाना चर्चा के दौरान पाकिस्तान के प्रतिनिधि अमजद हुसैन बी सियाल ने कहा कि लंबे समय से उलझे हालात के संदर्भ में जम्मू-कश्मीर विवाद का उल्लेख नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि हम समझते हैं कि यह अनजाने में हुई भूल है क्योंकि जम्मू कश्मीर, सुरक्षा परिषद के एजेंडे में शामिल सबसे पुराने विवादों में से एक है। पाकिस्तान इस मामले के निपटारे में दखल के लिए संयुक्त राष्ट्र से लगातार कहता रहा है, लेकिन भारत ने भी हमेशा कहा है कि यह दो देशों के बीच की बात है और इसे द्विपक्षीय तरीके से निपटाया जाना चाहिए।

इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र महासभा में ब्रिटेन के प्रतिनिधि मार्क लिल ग्रांट ने कहा कि पश्चिम एशिया, साइप्रस और पश्चिमी सहारा समेत कुछ मामले लंबे समय से अनसुलझे हैं। सूडान, सोमालिया और डीआरसी में बड़ी चुनौतियां हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा कि जब तक दोनों पक्ष यानि भारत और पाकिस्तान आग्रह नहीं करते, तब तक संयुक्त राष्ट्र कश्मीर मामले में दखल नहीं देगा।

उन्होंने अक्टूबर में कहा था कि जहां तक संयुक्त राष्ट्र की भूमिका का सवाल है, संयुक्त राष्ट्र आमतौर पर तब पहल करता है जब संबद्ध दोनों पक्ष आग्रह करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान पड़ोसी तथा इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण देश हैं। क्षेत्र में शांति और सुरक्षा में उनकी बड़ी भूमिका है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में चर्चा के दौरान ब्रिटेन ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के प्रति अपना समर्थन भी दोहराया। संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के उप दूत फिलिप परहाम ने कहा कि सुरक्षा परिषद की संरचना के मुद्दे पर स्थायी सदस्यता के लिए ब्राजील, जर्मनी, भारत, जापान और अफ्रीका के लिए भी हमारा समर्थन जारी है। सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के तौर पर दो वर्ष के लिए भारत और जर्मनी के प्रवेश का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ देश अगले वर्ष हमारे साथ जुड़ेंगे और तब हम साथ मिलकर काम करेंगे।

जापान की मौजूदा अस्थायी सदस्यता वर्ष 2011 तक है। ब्राजील वर्ष 2012 तक सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य रहेगा। दूसरी ओर, भारत की स्थायी सदस्यता का विरोध कर रहे पाकिस्तान ने तर्क दिया है कि नई परिषद में कुछ बड़े, कुछ मध्यम और कुछ छोटे आकार के सदस्यों को भी शामिल किया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रतिनिधि सियाल ने कहा कि हम सुरक्षा परिषद में समुचित प्रतिनिधित्व के लिए ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कान्फ्रेंस की मांगों का समर्थन करते हैं।

1 टिप्पणी:

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

यह समाचार आज का सबसे बड़ा समाचार है लेकिन मीडिया के लिए शायद महत्‍वपूर्ण नहीं है। जिस समस्‍या को नेहरू जी ने जबरदस्‍ती से संयुक्‍त राष्‍ट्र की बना दी थी आज स्‍वत: ही उसका निरस्‍त होना कश्‍मीर के मामले में भारत की बहुत बडी जीत है। समाचार देने के लिए आभार