2जी स्पेक्ट्रम आवंटन कथित घोटाले की जांच का दायरा देश से बाहर भी फैलने जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) स्पेक्ट्रम आवंटन में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच में सहयोग के लिए दस देशों को अनुरोध पत्र जारी करने जा रहा है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि निदेशालय ने दस देशों के प्रवर्तन निदेशालयों से पहले ही संपर्क कर लिया है। अब ईडी इस जांच के मामले में औपचारिक रास्ता अपनाने जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय जल्द इस मामले में अनुरोध-पत्र जारी करने जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय इन देशों से वित्तीय लेनदेन तथा उन देशों में कारोबार कर रही कई कंपनियों की पृष्ठभूमि के बारे में पूछेगा। अनुरोध पत्र औपचारिक आग्रह होता है, जो एक समक्ष अदालत द्वारा विदेशी अदालत में भेजा जाता है और जांच एजेंसियों की ओर से इसकी छानबीन विदेश मंत्रालय करता है।
सूत्रों ने बताया कि जिन दस देशों को अनुरोध पत्र भेजा जाएगा उनमें कर पनाहगाह जैसे इस्ले ऑफ मान, साइप्रस, मारिशस के अलावा संयुक्त अरब अमीरात, नॉर्वे, सिंगापुर, लीबिया और रूस शामिल हैं। उन्होंने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय का मानना है कि इन देशों में काम कर रही कुछ कंपनियां स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़ी हैं। साथ ही कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं, जिन्होंने बाद में स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदी है। ज्यादातर कंपनियों जिन्हें स्पेक्ट्रम मिला है, उनकी सहायक इकाइयां और कारोबारी सहयोगी विदेशों में स्थित हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने घोटाले में कथित तौर पर शामिल सभी प्रमुख दूरसंचार कंपनियों में अपनी पहली दौर की जांच पूरी कर ली है। इन कंपनियों ने अपने वित्तीय लेनदेन, विदेशी हिस्सेदारी, वित्तीय सहयोग देने वालों और अपने सहायक इकाइयों की जानकारी उपलब्ध कराई है।
निदेशालय ने इस जानकारियों का अध्ययन किया है और अब वह दूरसंचार कंपनियों से दूसरे दौर की पूछताछ करने जा रहा है। सीबीआई पहले ही इस मामले की जांच कर रही है। हाल में सीबीआई ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और दूरसंचार विभाग के पूर्व अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में काला धन निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि निदेशालय ने दस देशों के प्रवर्तन निदेशालयों से पहले ही संपर्क कर लिया है। अब ईडी इस जांच के मामले में औपचारिक रास्ता अपनाने जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय जल्द इस मामले में अनुरोध-पत्र जारी करने जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय इन देशों से वित्तीय लेनदेन तथा उन देशों में कारोबार कर रही कई कंपनियों की पृष्ठभूमि के बारे में पूछेगा। अनुरोध पत्र औपचारिक आग्रह होता है, जो एक समक्ष अदालत द्वारा विदेशी अदालत में भेजा जाता है और जांच एजेंसियों की ओर से इसकी छानबीन विदेश मंत्रालय करता है।
सूत्रों ने बताया कि जिन दस देशों को अनुरोध पत्र भेजा जाएगा उनमें कर पनाहगाह जैसे इस्ले ऑफ मान, साइप्रस, मारिशस के अलावा संयुक्त अरब अमीरात, नॉर्वे, सिंगापुर, लीबिया और रूस शामिल हैं। उन्होंने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय का मानना है कि इन देशों में काम कर रही कुछ कंपनियां स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़ी हैं। साथ ही कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं, जिन्होंने बाद में स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदी है। ज्यादातर कंपनियों जिन्हें स्पेक्ट्रम मिला है, उनकी सहायक इकाइयां और कारोबारी सहयोगी विदेशों में स्थित हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने घोटाले में कथित तौर पर शामिल सभी प्रमुख दूरसंचार कंपनियों में अपनी पहली दौर की जांच पूरी कर ली है। इन कंपनियों ने अपने वित्तीय लेनदेन, विदेशी हिस्सेदारी, वित्तीय सहयोग देने वालों और अपने सहायक इकाइयों की जानकारी उपलब्ध कराई है।
निदेशालय ने इस जानकारियों का अध्ययन किया है और अब वह दूरसंचार कंपनियों से दूसरे दौर की पूछताछ करने जा रहा है। सीबीआई पहले ही इस मामले की जांच कर रही है। हाल में सीबीआई ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और दूरसंचार विभाग के पूर्व अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में काला धन निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया है।

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