ढाई से तीन हजार किलोमीटर की दूरी तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मध्मम दूरी की संवर्धित ‘अग्नि-दो प्लस’ मिसाइल का परीक्षण शुक्रवार सुबह उड़ीसा तट पर विफल हो गया। व्हीलर द्वीप से उड़ान के तत्काल बाद मिसाइल अपने रास्ते से भटक कर समुद्र में गिर गई।
मौके पर मौजूद वैज्ञानिकों ने परीक्षण की विफलता के लिए उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण शुरू कर दिया है। रक्षा मुख्यालय ने मिसाइल परीक्षण की विफलता की पुष्टि की है। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मिसाइल में कम्पोजिट रॉकेट मोटर, स्वदेशी रिंग लेजर आधारित नौवहन प्रणाली व रोड़ मोबाइल लांच जैसी नई तकनीकों का प्रयोग किया गया है।
इनमें से कुछ का परीक्षण के दौरान सत्यापन भी हो गया है। अग्नि-दो प्लस मिसाइल इस श्रेणी की अग्नि-2 व 3 के बीच की दूरी (ढाई से तीन हजार किलोमीटर) तक मार कर सकने में सक्षम है। यह मूल रूप से अग्नि दो का संवर्धित रूप है और इसके दोनों चरणों में ठोस इंधन का प्रयोग किया गया है।
मिसाइल में बेहतर नौवहन प्रणाली भी लगाई गई है। इससे पहले 25 नवंबर को सतह से सतह पर मार करने वाली अग्नि-एक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था। उल्लेखनीय है कि 24 सितंबर को पृथ्वी-दो मिसाइल का परीक्षण भी विफल हो गया था।
शनिवार, 11 दिसंबर 2010
अग्नि-दो प्लस का परीक्षण विफल.
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