इस फैसले के क्रियान्वयन के लिए केन्द्र सरकार से तीन महीने बाद एक निगरानी प्राधिकरण गठित करने को कहा गया है। इस फैसले पर पुनर्विचार मई 2050 के बाद ही किया जा सकेगा। गौरतलब है कि कृष्णा नदी महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट से शुरू होकर कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश से होती हुई बंगाल की खाडी़ में गिरती है। संबंधित तीनों राज्यों में कृष्णा नदी के अतिरिक्त जल के बंटवारे को लेकर 2004 में तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण का गठन किया गया था।
कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण ने आंध्र प्रदेश को 1001 अरब घन फुट (टीएमसी), कर्नाटक को 911 टीएमसी और महाराष्ट्र को 666 टीएमसी कृष्णा नदी का जल देने संबंधी फैसला गुरुवार को सुनाया। न्यायाधिकरण ने तीनों राज्यों को आदेश दिया है कि उसके निर्णय के अनुरूप ही जल का उपयोग करें और इसमें किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होना चाहिए। कर्नाटक को अपने क्षेत्र में अलामत्ती इलाके में 524.65 मीटर जल संग्रहण की अनुमति दी गई है।
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