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बुधवार, 19 जनवरी 2011

देश के आगे बीसीसीआई की अकड़.

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का राष्ट्रीय खेल संघ का दर्जा छीन लिया गया है लेकिन उसकी अकड़ कतई कम नहीं हुई है. बोर्ड ने सरकार से आमने सामने का मुकाबला शुरू कर दिया है.

मंगलवार को बीसीसीआई ने कहा कि वह एक स्वायत्त संस्था है और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद से जुड़ी हुई है इसलिए राष्ट्रीय क्रिकेट टीम चुनने का हक सिर्फ उसका है.

बीसीसीआई को खेल मंत्रालय में कुछ जरूरी दस्तावेज जमा कराने के लिए कहा गया था लेकिन बोर्ड ने ऐसा नहीं किया. इसके बाद सोमवार को सरकार ने राष्ट्रीय खेल संघ का दर्जा वापस ले लिया. इसका एक मतलब यह है कि अब बीसीसीआई को खेल से जुड़े सामान के आयात पर कस्टम ड्यूटी में मिलने वाली छूट नहीं मिलेगी.

इस बारे में बीसीसीआई के प्रशासनिक प्रमुख रत्नाकर शेट्टी ने कहा, "बीसीसीआई हमेशा एक स्वायत्त संस्था रही है. पिछले महीनों में हमारे ऊपर काफी दबाव बनाया गया है कि हम सरकार से जुड़ जाएं. लेकिन बीसीसीआई इस बारे में अलग तरह से सोचता है."

शेट्टी ने कहा कि सरकार ने जो सुविधाएं वापस ली हैं, उनसे अगले महीने शुरू होने वाले वनडे वर्ल्ड कप के आयोजन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा, "आईसीसी का सदस्य होने के नाते बीसीसीआई ही भारत की टीम चुन सकता है. इस फैसले का वर्ल्ड कप पर कोई असर नहीं होगा."

हालांकि जानकार मानते हैं कि सरकार का यह फैसला बीसीसीआई के लिए बड़ा झटका है क्योंकि इसका सीधा असर वर्ल्ड कप के अन्य साझीदारों पर पड़ेगा. क्योंकि अब वर्ल्ड कप के लिए जो भी खेल का सामान भारत आएगा उस पर 26.85 फीसदी कस्टम ड्यूटी चुकानी होगी. इससे सामान लाना महंगा हो जाएगा और कई कंपनियों के मुनाफे पर सीधा असर पड़ेगा.

भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका मिलकर 2011 का क्रिकेट वर्ल्ड कप आयोजित कर रहे हैं. टूर्नामेंट 19 फरवरी से शुरू होगा और 2 अप्रैल तक चलेगा.

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