भारतीय छात्रों के पैरों में रेडियो कॉलर. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 30 जनवरी 2011

भारतीय छात्रों के पैरों में रेडियो कॉलर.


अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में निगरानी के लिए भारतीय छात्रों के पैरों में ट्रैकर (रेडियो कॉलर) लगाने का मामला गरमा गया है। भारत ने सख्त ऐतराज जताते हुए अमेरिकी अधिकारियों के इस कदम को 'बर्दाश्‍त के बाहर' बताया है और ट्रैकर हटाने की मांग की है। जीपीएस प्रणाली से लैस ये इलेक्ट्रानिक यंत्र आमतौर पर जानवरों को पहनाए जाते हैं। विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने इस पर कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इस तरह की घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जा सकती है। उन्‍होंने कहा, ‘हमने अमेरिकी अधिकारियों से कहा है कि छात्रों के साथ निष्पक्ष और समुचित व्यवहार हो। इन छात्रों में से ज्यादातर पीडि़त हैं। छात्रों को अपना पक्ष रखे जाने का मौका मिलना चाहिए। छात्रों के एक समूह को बंधक बनाने के बाद उन्हें अमेरिकी कानून के मुताबिक ट्रैकर लगाकर छोडऩा बर्दाश्‍त योग्‍य नहीं है, इसे हटाया जाए।’ भारत ने इस मामले में कड़ा रूख अख्तियार करते हुए यूएस डिप्टी चीफ ऑफ द मिशन को समन भेजा है। अप्रवासी मामलों के मंत्री वायलार रवि ने कहा कि इस मामले में अमेरिकी अधिकारियों से बात करेंगे। 

यह मामला कैलिफोर्निया की ट्राई-वैली यूनिवर्सिटी से जुड़ा है। यूनिवर्सिटी को आव्रजन धोखाधड़ी के आरोपों के चलते बंद कर दिया गया था इसके बाद विश्वविद्यालय के कई विद्यार्थियों के शरीर पर रेडियो कॉलर लगा दिए गए थे। कैलिफोर्निया की एक अदालत में ट्राय वैली विश्वविद्यालय के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और वीजा नियमों के उल्लंघन की शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसके बाद हुई कार्रवाई से विश्वविद्यालय के 1555 छात्रों के भविष्य पर खतरे की तलवार लटक रही है। अदालत में दर्ज  शिकायत में कहा गया है कि इस विश्वविद्यालय ने विदेशी छात्रों को अवैध रूप से आव्रजन दर्जा पाने में मदद की। रविवार को मीडिया से बातचीत में विदेश मंत्री ने कहा कि बंद हो चुकी कैलिफॉर्निया की ट्राई वैली यूनिवर्सिटी के भारतीय छात्रों पर निगरानी के लिए मॉनिटरिंग सिस्टम लगाना स्वीकार्य नहीं है। उन्होनें कहा कि यह एक गैर-ज़रूरी कदम है और भारतीय छात्रों को कानूनी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है। भारत ने इस निगरानी प्रणाली को तुरंत हटाए जाने की मांग की है।

कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में अनेक भारतीय छात्र पढ़ने आए थे। इन छात्रों को इस बात की जानकारी नहीं था कि इस विश्वविद्यालय के खिलाफ छानबीन चल रही है और इसे बंद किया जा चुका है। अमेरिकी अधिकारियों ने पैसे लेकर छात्र वीज़ा बेचने के आरोप में विश्वविद्यालय पर ताला लगा दिया है। अमरीका के इमीग्रेशन अधिकारियों ने इन छात्रों को वीज़ा क़ानून के उल्लंघन के आरोप में हिरासत में ले लिया और उनमें से 18 के पैरों में रेडियो टैग लगा दिए गए थे ताकि वो छानबीन के चलते देश छोड़ कर न जा सकें। इस विश्वविद्यालय में लगभग 1500 छात्र थे जिनमें से 95 प्रतिशत भारतीय थे और उनमें से अधिकतर आंध्र प्रदेश से आए थे। धोखाधड़ी के शिकार हुए एक भारतीय छात्र ने बताया कि यूनिवर्सिटी को अचानक बंद कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘ हमें नहीं पता कि यूनिवर्सिटी और अमेरिकी सरकार के बीच क्या हो रहा है। हमें बताया गया है कि हम अवैध प्रवासी हैं।’

तेलुगु एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका के प्रेसीडेंट जयराम कोमाती ने एक टीवी चैनल से बातचीत में बताया कि यूनिवर्सिटी में तकरीबन 400 भारतीय छात्र हैं जिसमें से अधिकांश आंध्र प्रदेश के हैं। उन्‍होंने कहा कि छात्रों के टखनों में कोई निगरानी प्रणाली लगाई गई है। अमेरिका में जो कुछ भी हुआ उसमें छात्रों की कोई गलती नहीं है। गलती उस विश्वविद्यालय की है जिसने नियम तोड़े। मामले की जांच कर रही अमेरिकी एजेंसियों का दावा है कि कैलिफोर्निया के इस विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए वीजा पर आए छात्र अन्य जगहों पर नौकरी करते पाए गए।

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