आदर्श कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी घोटाला मामले में पहली प्राथमिकी दर्ज होने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रविवार को सोसायटी के तीन प्रमोटरों के आवास और दफ्तरों पर छापेमारी की।
सीबीआई ने प्रमोटर एम. एम. वांगचू, कन्हैयालाल गिडवानी और आर. सी. ठाकुर के मुंबई, पुणे, नागपुर और पटना स्थित ठिकानों पर छापेमारी की। ठाणे, नागपुर और बिहार में स्थित गिडवानी के दो आवासों और ठाकुर के तीन मकानों पर छापेमारी की गई। आदर्श सोसायटी के मुंबई स्थित कार्यालय में भी छापे की कार्रवाई की गई।
आदर्श सोसायटी घोटाला मामले में महीनों तक चली प्राथमिक जांच के बाद सीबीआई ने शनिवार को 13 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। यह कार्रवाई बॉम्बे हाई कोर्ट के उस निर्देश के बाद की गई है जिसमें कोर्ट ने सीबीआई से यह बताने को कहा था कि इस मामले में बिना प्राथमिकी दर्ज किए उसने क्या कार्रवाई की है। 18 जनवरी को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जांच एजेंसी दो हफ्ते के भीतर प्राथमिकी दर्ज करे। प्राथमिकी में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का नाम भी शामिल है। इस मामले में चव्हाण का नाम सामने आने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। चव्हाण के अलावा प्रदेश मानवाधिकार आयोग के सदस्य सुभाष लाला को भी इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद प्रदेश के सूचना आयोग रामानंद तिवारी को भी 20 जनवरी को सस्पेंड कर दिया गया था।
सीबीआई ने प्रमोटर एम. एम. वांगचू, कन्हैयालाल गिडवानी और आर. सी. ठाकुर के मुंबई, पुणे, नागपुर और पटना स्थित ठिकानों पर छापेमारी की। ठाणे, नागपुर और बिहार में स्थित गिडवानी के दो आवासों और ठाकुर के तीन मकानों पर छापेमारी की गई। आदर्श सोसायटी के मुंबई स्थित कार्यालय में भी छापे की कार्रवाई की गई।
आदर्श सोसायटी घोटाला मामले में महीनों तक चली प्राथमिक जांच के बाद सीबीआई ने शनिवार को 13 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। यह कार्रवाई बॉम्बे हाई कोर्ट के उस निर्देश के बाद की गई है जिसमें कोर्ट ने सीबीआई से यह बताने को कहा था कि इस मामले में बिना प्राथमिकी दर्ज किए उसने क्या कार्रवाई की है। 18 जनवरी को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जांच एजेंसी दो हफ्ते के भीतर प्राथमिकी दर्ज करे। प्राथमिकी में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का नाम भी शामिल है। इस मामले में चव्हाण का नाम सामने आने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। चव्हाण के अलावा प्रदेश मानवाधिकार आयोग के सदस्य सुभाष लाला को भी इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद प्रदेश के सूचना आयोग रामानंद तिवारी को भी 20 जनवरी को सस्पेंड कर दिया गया था।
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