मठ शांति का पड़ाव या जासूसी का ठिकाना. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 31 जनवरी 2011

मठ शांति का पड़ाव या जासूसी का ठिकाना.


नाम-करमापा उग्येन दोरजी, पद-बौद्ध धर्मगुरु, काम-बौद्घ धर्म की शिक्षा देना, उसके सिद्धांतों को आगे बढ़ाना और बीच-बीच में तिब्बत के विवादित मुद्दे पर भी बोलते रहना लेकिन ये तो थे सिर्फ हाथी के दांत। करमापा उग्येन दोरजी का असली काम कुछ और है। कहा जा रहा है कि ये भारत में चीन के सबसे बड़े जासूस हैं। वो भारत से जुड़ी तमाम खुफिया जानकारियां चीन में बैठे अपने आकाओं को भेजते थे और बदले में उनका मुंह सोने के सिक्कों से भर दिया जाता। उनका खजाना, यहां दिल्ली तक फैला हुआ है। 
हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों में बना शानदार मठ। लाल सीढ़ियां और चमकती दीवारें। ऊपर से दिखने में एकदम शांत लेकिन भीतर भीतर भयंकर अशांत। मठ शांति का पड़ाव नहीं बल्कि जासूसी का ठिकाना है। भारत की खुफिया जानकारियां पहाड़ों के उस पार चीन भेजने का अड्डा। इस राज का फाश तब हुआ जब करमापा के ठिकानों की तलाशी के दौरान कुबेर का खजाना मिला। चीन समेत 25 देशों की करेंसी बरामद हुई। सवाल ये खड़ा हुआ आखिर भारत की सरजमीं पर 10 साल पहले छिपते-छिपाते आने वाले बौद्ध धर्म गुरु के मठ में चीन की करेंसी क्या कर रही है। एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट और पुलिस इसी पहेली को सुलझाने में लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक अब तक की जांच में पता चला है कि करीब 6 करोड़ की करेंसी हांगकांग के रास्ते हवाला के जरिए करमापा तक पहुंची है और इसकी जड़ में है चीन।
दरअसल वित्त मंत्रालय के खुफिया विभाग को इस राशि के बारे में पहले ही पता चल चुका था लेकिन खुफिया विभाग की एक ठोस सूचना के बाद ये छापेमारी हुई। छापे मारी तो हुई अनअकाउंटेड मनी के लिए लेकिन खुफिया विभाग रुपये के बजाए करमापा के मठ में कुछ और ही ढूंढ रहा है। उसे तलाश थी एक कंट्रोल रूम की। कुछ दिन पहले सुरक्षा एजेंसियों को धर्मशाला के मठ में करमापा के कंट्रोल रूम की जानकारी मिली थी। कहा जा रहा है कि काफी कुछ फिल्मी अंदाज में मठ के भीतर किसी तहखाने में ये कंट्रोल रूम बनाया गया है। भला एक धर्मगुरु के मठ में कंट्रोल रूम का क्या काम। एजेंसियों को अंदेशा है कि कंट्रोल रूम से खुफिया सूचनाएं चीन भेजी जाती थीं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस कंट्रोल रूम में बौद्ध धर्म गुरु करमापा ने एक हाईटेक लाइब्रेरी बना रखी है। वहां संचार के तमाम हाईटेक उपकरण मौजूद हैं जिनसे यहां बैठे-बैठे दुनिया के किसी भी कोने में संपर्क साधा जा सकता है। इतना ही नहीं, करमापा के मठ में दो अलग-अलग कमरे बनाए गए हैं। एक कमरे में करमापा भक्तों से मिलते हैं और दूसरे खुफिया कमरे में चीन और दूसरे देशों से आने वाले चुनिंदा लोगों से। सूत्रों के मुताबिक इनमें वो लोग शामिल हैं जो हवाला के कुरियर और सूचना लेते या देते हैं।
यह खेल बड़ा दिलचस्प है। गृहमंत्रालय के नियमों के मुताबिक मठ में आने वाले हर शख्स की न सिर्फ एंट्री रजिस्टर में दर्ज होनी चाहिए बल्कि मठ में दाखिल होने से पहले उसकी जांच भी होनी चाहिए। आम लोगों की एंट्री तो मठ के रजिस्टर में दर्ज हो जाती थी लेकिन निजी कमरे में मिलने वाले लोगों की न तो सुरक्षा जांच होती थी और न ही उनकी एंट्री दर्ज होती। इन खास लोगों को दूसरे दरवाजे से लाया और ले जाया जाता था। खुफिया विभाग को जांच में पता चला है कि पिछले एक साल में 340 चीनी नागरिक करमापा से मिल चुके हैं। दो साल पहले करमापा से मिलने वाले 400 विदेशी लोगों में चीन के अलावा अमेरिका और ब्रिटेन के नागरिक भी शामिल थे। यानि तस्वीर साफ होती जा रही है। हिमाचल के धर्मशाला में शानदार मठ में रहने वाले बौद्घ धर्म गुरु करमापा उग्येन दोरजी कठघरे में खड़े हैं। तो क्या वे भारत में शरण लेकर, भारत की आबोहवा में सांस लेकर भारत के खिलाफ काम करते रहे। तो क्या उन्हें चीन ने भारत में भिजवाया ताकि धर्म गुरु के चोले में कोई उनपर शक न करे और पहाड़ों पर उनका जासूसी का जाल फैलता रहे।
सूत्रों के मुताबिक चीन ने करोड़ों की इस करेंसी से करमापा को हिमालय की तराई में जमीन खरीदने का जिम्मा सौंपा था ताकि ऐसे रास्तों की तलाश हो सके जहां से चीन को घुसपैठ करने में आसानी हो। दरअसल हिमालय की तराई वाले इन राज्यों में जमीन खरीदने का मकसद तिब्बत समाज में घुसपैठ बढ़ाना था। सूत्रों के मुताबिक चीन ने करमापा को निर्देश दे रखा था कि ऐसा कर तिब्बत समाज में घुसपैठ कर अपनी मजबूत पैठ बनाएं। तिब्बत से साल 2000 में धर्मशाला पहुंचे 14 साल के करमापा उग्येन दोरजे पर चीन के लिए काम करने के आरोप शुरुआत से लगते रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक अब तक की जांच में पता चला है कि करमापा को हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, बोध गया, वाराणसी के कई इलाकों में जमीन खरीदनी थी। हाल ही में करमापा ने लद्दाख में दस एकड़ और हिमाचल प्रदेश में करीब 100 एकड़ तक जमीन का सौदा तय किया था। इन जमीनों की खरीद फरोख्त के लिए हवाला के जरिए रुपए भेजे जाते थे। खुफिया एजेंसियों को शक है कि हिमाचल की जमीन की खरीद-फरोख्त में सूबे के जमीन माफिया की मिलीभगत हो सकती है क्योंकि हिमाचल प्रदेश में कोई भी शख्स बिना स्थानीय लोगों की मदद के जमीन नहीं खरीद सकता और इसके लिए चाहिए करोड़ों रुपए।
धर्मशाला मठ से जांच एजेंसियों ने जापान, चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, सिंगापुर, नेपाल, कनाडा और थाईलैंड समेत 25 देशों की करेंसी से भरे 6 सूटकेस बरामद किए हैं। सूत्रों के मुताबिक पहले जमीन की ये खरीद फरोख्त चंदे के पैसे से की जाती थी लेकिन बाद में हवाला के जरिये करमापा को रुपये भेजे जाने लगे। सूत्रों के मुताबिक मठ से बरामद करेंसी का इस्तेमाल कांगड़ा में पांच एकड़ जमीन खरीदने के लिए होना था। इससे पहले करमापा ने 2007 और 2008 में भी कांगड़ा में जमीन खरीदने की कोशिश की थी लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। इतना ही नहीं अब तक की जांच में 400 से ज्यादा बेनामी जमीनों का भी खुलासा हुआ है जिन्हें तिब्बती शरणार्थियों के नाम पर खरीदा गया है।
सूत्रों के मुताबिक जांच में ये भी सामने आया है कि हिमालय की तराई में खरीदी गई जमीन पर चाइना फ्रेंडली तिब्बतियन इंस्टीट्यूट बनाया गया है। यही नहीं भारत चीन सीमा पर 17 चाइनीज स्टडी इंस्टीट्यूट के बारे में भी पता चला है। अब खुफिया एजेंसियों की कड़ी नजर इन्हीं संस्थानों पर है। ऐसी आशंका है कि इन संस्थानों का इस्तेमाल चीन के लिए जासूसी करने को हो रहा है।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

नाक के नीचे खतरनाक खेल ....