अपने व्यक्तवय और कर्म में नियन्त्रण का अभ्यास करो,
और अगर कठोर शब्द बोलने के लिए बाध्य हो जाओ,
उस भावना को नियन्त्रण करके शान्तिपूर्वक बोलो।
आप किसी भी व्यक्ति को कठोर शब्द न बोले|
जब आपको सत्य बोलने के लिए कहा जाए तो आप
कभी ना डरें, लेकिन अपने विचारों को दूसरों पर ना थोपें|
अपनी बात में दयालुता और सह्रदयता से दूसरों के
उत्थान और उन्हें अच्छा बनाने में सहायता करें|
(श्री परमहंस योगानंद)
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