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रविवार, 27 मार्च 2011

लाखों का फर्जी लाइसेंस.


फर्जी पायलट लाइसेंस मामले में क्राइम ब्रांच द्वारा डीजीसीए के असिस्टेंट डायरेक्टर प्रदीप कुमार और रैकेट के मास्टरमाइंड प्रदीप त्यागी से पूछताछ में पुलिस को अहम जानकारियां मिली हैं। फर्जी दस्तावेजों के जरिए एयरलाइंस ट्रांसपोर्ट पायलट लाइसेंस दिलाने के लिए प्रदीप त्यागी लोगों से 6 लाख रुपये लेता था। इन रुपयों में से एक लाख रुपये वह ललित जैन और पंकज जैन को देता था। ये दोनों कंप्यूटर के जरिए पहले फर्जी मार्कशीट बनाते थे और फिर उस पर फर्जी स्टैंप लगाकर वह मार्कशीट प्रदीप तक पहुंचा देते थे।

हैरानी की बात यह है कि डीजीसीए अधिकारी प्रदीप कुमार सिर्फ 20-25 हजार रुपये लेकर ही प्रदीप त्यागी का काम कर देता था। प्रदीप कुमार का मुख्य काम प्रदीप त्यागी के क्लाइंट्स को एएलटीपी लाइसेंस दिलाने का होता था। वह यह इंश्योर करता था कि त्यागी के क्लाइंट्स की फाइल किसी भी लेवल पर न अटके और उनके तमाम दस्तावेजों को विभिन्न स्तरों पर जल्द से जल्द क्लियरेंस मिल जाए, ताकि एएलटीपी लाइसेंस भी जल्दी से जारी हो जाए। पुलिस के मुताबिक, प्रदीप त्यागी ने 2008 से ही डीजीसीए में अपने सोर्स बनाना शुरू कर दिया था। वह 2009 से यह रैकेट चला रहा था, जबकि प्रदीप कुमार भी अप्रैल 2009 से फरवरी 2011 के बीच डीजीसीए के डायरेक्टरेट ऑफ लाइसेंसिंग में तैनात रहा था। इसे देखते हुए पुलिस को शक है कि शायद पिछले एक-डेढ़ साल से दोनों मिलकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोगों को एएलटीपी लाइसेंस दिला रहे होंगे। 12 मार्च को गिरफ्तार किए गए एयर इंडिया के पायलट कैप्टन जे. के. वर्मा से पूछताछ में मिली जानकारियां पुलिस के लिए इस रैकेट की तह तक पहुंचने में सबसे ज्यादा मददगार साबित हुईं।

पुणे के रहने वाले वर्मा से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि एएलटीपी लाइसेंस हासिल करने के लिए उसने मुंबई के दीपक असतकर से संपर्क किया था, जो मुंबई स्थित एक एविएशन कोचिंग इंस्टिट्यूट का पूर्व इंस्ट्रक्टर रह चुका था। लाइसेंस दिलाने के लिए उसने दीपक को 12 लाख रुपये दिए। दीपक ने वर्मा को त्यागी से मिलवाया और त्यागी ने दीपक से 6 लाख रुपये लेकर ललित, पंकज और प्रदीप कुमार की मदद से फर्जी दस्तावेजों के जरिए वर्मा को एएलटीपी लाइसेंस दिलवा दिया। पूछताछ में यह भी पता चला कि 8 मार्च को सबसे पहले गिरफ्तार की गई इंडिगो एयरलाइंस की पायलट कैप्टनपरमिंदर कौर गुलाटी ने भी त्यागी के जरिए ही एएलटीपी लाइसेंस हासिल किया था। 1994-95 में दिल्लीफ्लाइंग क्लब में गुलाटी और त्यागी ने एक साथ फ्लाइंग की थी। दोनों एक - दूसरे को जानते थे। 2009 में गुलाटी नेएएलटीपी हासिल करने के लिए त्यागी से संपर्क किया था। पुलिस के मुताबिक दिल्ली की रहने वाली कैप्टन मीनाक्षीसिंघल , नागपुर के रहने वाले कैप्टन सैयद हबीब अली , चंडीगढ़ के रहने वाले कैप्टन भूपेंद्र सिंह और जयपुर के रहने वालेकैप्टन स्वर्ण सिंह को भी त्यागी ने इसी तरह एएलटीपी लाइसेंस दिलवाया था।

इस मामले में अब तक 6 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है , जबकि चार अन्य पायलटों से अभी पूछताछ की जानी है।साथ ही पुलिस दीपक को भी तलाश रही है। डीसीपी ने यह भी साफ कर दिया है कि क्राइम ब्रांच केवल फर्जी मार्कशीट केजरिए हासिल किए गए पायलट लाइसेंस मामले में ही जांच कर रही है। फर्जी फ्लाइंग आवर्स और फ्लाइंग क्लबों कीभूमिका इस जांच में शामिल नहीं है ।

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