दिल्ली में पीने के पानी में वैज्ञानिकों ने एक जानलेवा सुपरबग के मौजूद होने की पुष्टि की है। ये ऐसा सुपरबग है जिसपर कोई भी एंटिबायोटिक दवा काम नहीं करती जो कि वैज्ञानिकों की चिंता का विषय है। इससे हैजा और डायरिया जैसी बीमारियों का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।
एनडीएम 1 नाम के इस जीवाणु से पैदा होने वाले खतरों के देखते हुए वैज्ञानिकों ने इसका नाम 'सुपरबग' दिया है। पेट संबंधी रोगों की बड़ी वजह ये बैक्टीरिया है और ये दिल्ली के पानी में तेजी से फैल रहा है। राजधानी दिल्ली में एक करोड़ चालीस लाख लोग रहते हैं और दिल्ली की बहुती बड़ी आबादी इस संक्रमित पानी का उपयोग कर रही है।
फिलहाल बाजार में ऐसा कोई एंटीबायोटिक नहीं है जो सुपर बग से लड़ने की क्षमता रखता हो। करीब तीन साल पहले भारत में पहली बार एनडीएम 1 पाया गया था जो इस बीच दुनिया के कई और देशों में भी पाया गया। इस सुपरबग के लिए एंटिबयोटिक तैयार करने में लगभग अभी पांच-छह साल और लगेंगे, तब तक इस सुपरबग से पैदा होने वाले खतरों से निपटना वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी चुनौती है।
एनडीएम 1 नाम के इस जीवाणु से पैदा होने वाले खतरों के देखते हुए वैज्ञानिकों ने इसका नाम 'सुपरबग' दिया है। पेट संबंधी रोगों की बड़ी वजह ये बैक्टीरिया है और ये दिल्ली के पानी में तेजी से फैल रहा है। राजधानी दिल्ली में एक करोड़ चालीस लाख लोग रहते हैं और दिल्ली की बहुती बड़ी आबादी इस संक्रमित पानी का उपयोग कर रही है।
फिलहाल बाजार में ऐसा कोई एंटीबायोटिक नहीं है जो सुपर बग से लड़ने की क्षमता रखता हो। करीब तीन साल पहले भारत में पहली बार एनडीएम 1 पाया गया था जो इस बीच दुनिया के कई और देशों में भी पाया गया। इस सुपरबग के लिए एंटिबयोटिक तैयार करने में लगभग अभी पांच-छह साल और लगेंगे, तब तक इस सुपरबग से पैदा होने वाले खतरों से निपटना वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी चुनौती है।

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