एक अध्ययन में वैज्ञानिको ने दावा किया गया है कि डेस्क पर काम करना सेहत के लिए धूम्रपान जैसा ही खतरनाक है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जो लोग एक दशक से भी अधिक समय तक कंप्यूटर टर्मिनल पर काम करते हैं उन्हें आंत का कैंसर होने का खतरा दोगुना होता है।
पर्सनल कंप्यूटर के सामने करीब दस साल बिताने से नियमित रूप से जिम जाने वाले व्यक्ति को भी आंत का कैंसर होने का खतरा दोगुना होता है और इसका मुख्य कारण निष्क्रियता की अवधि का अधिक होना है। यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया ने किया है। कैंसर रिसर्चर यूके के डॉक्टर क्लेयर नाइट ने बताया हमारी सक्रियता जितनी अधिक होगी, खतरा उतना कम किया जा सकता है। हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि जितना समय स्क्रीन को देखते हुए बिताया जाता है, उसका सीधा संबंध हृदय के स्वास्थ्य से होता है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि जो लोग एक दिन में 11 घंटे स्क्रीन के सामने बिताते हैं उन्हें दिल की बीमारी होने का खतरा 67 फीसदी होता है। ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों ने पाया कि उठे बिना लंबे समय तक बैठे रहने के कारण कमर का दायरा फैल जाता है और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। यूनिवर्सिटी ऑफ क्वीन्सलैंड के डॉ जिनीवेव हेली ने कहा मामूली सा परिवर्तन स्वास्थ्य के इस खतरे को कम कर सकता है जैसे एक मिनट के लिए ही खड़ा हो जाना। ब्रिटिश काइरोप्रैक्टिस एसोसिएशन (बीसीए) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, करीब एक तिहाई लोग एक दिन में दस घंटे से अधिक समय बैठे रहते हैं और इनमें से आधे लोग तो दोपहर के भोजन के लिए भी अपने अपने डेस्क से नहीं उठते।
बीसीए के रिशी लोएटे कहते हैं यह स्थिति पीड़ादायी हो सकती है क्योंकि हमारा शरीर ऐसा नहीं होता कि इतनी देर तक उसे बिठाए रखा जाए। डॉ जॉन चैलेनर कहते हैं कि सुबह से रात तक काम का संबंध डिमेन्शिया से भी होता है। प्रौढ़ कर्मचारी एक सप्ताह में 55 घंटे से अधिक समय मानसिक श्रम में लगाते हैं और उनकी याद्दाश्त कमजोर हो जाती है। वह कहते हैं एक ही काम को लंबे समय तक करते रहने से सिरदर्द होने लगता है। अध्ययन में कहा गया है कि कंप्यूटर के की बोर्ड में पाए जाने वाले बैक्टीरिया टॉयलेट सीट के बैक्टीरिया से अधिक खतरनाक होते हैं। माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ पीटर विल्सन ने कहा कि आपकी नाक में और आंत में क्या है, कई बार इसका पता की बोर्ड से चल सकता है।
बहरहाल अध्ययन में कहा गया है कि लंबे समय तक बैठने के बजाय नियमित अंतराल में उठते रहने से खतरे को कम किया जा सकता है। अधिक मात्रा में पानी पीने और गहरी सांस लेने से हाथों और पैरों में रक्त का अच्छा संचार बना रहता है।
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