दिल्ली सरकार ने सोमवार को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को तीन छोटे निकायों में बांटने का फैसला किया, लेकिन वार्डों की संख्या यथावत 272 ही रहेगी। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि मंत्रिमंडल ने दिल्ली में नगर निगम की बेहतर सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए यह फैसला किया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय को तीन भागों में बांटने का फैसला करने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के कई नेताओं से विचार-विमर्श किया गया।
शीला दीक्षित ने कहा कि एमसीडी में अभी 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं, लेकिन अब 50 फीसदी सीटें उनके लिए आरक्षित होंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नए निकायों की स्थापना के बारे में तौर तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए अधिकारियों की चार सदस्यीय समिति नियुक्त की गई है। इसके बाद अनुमति के लिए एक प्रस्ताव गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा।
समिति के सदस्य वित्त सचिव डीएम सपोलिया, मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव एमएम कुट्टी, विधि सचिव एसपी गर्ग और शहरी विकास सचिव आरके श्रीवास्तव हैं। समिति से तीन चार दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है।
बैठक के बाद शीला ने संवाददाताओं से कहा कि केंद्र से अनुमति मिलने के बाद हम विधानसभा के मानसून सत्र में एक विधेयक पेश करेंगे। सूत्रों ने बताया कि एमसीडी को तीन निकायों में विभाजित करने के लिए पार्टी आलाकमान से हरी झंडी मिलने के बाद मंत्रिमंडल ने यह फैसला किया। तीनों प्रस्तावित निकाय क्रमश: उत्तर, दक्षिण और पूर्वी दिल्ली में बनाए जाएंगे।
एमसीडी के विभाजन को लेकर शीला दीक्षितको कांग्रेस में ही कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि एक उच्चस्तरीय समिति ने एमसीडी को पांच भागों में विभाजित करने की सिफारिश की थी, लेकिन मंत्रिमंडल ने प्रस्ताव का विरोध करने वालों को शांत करने के प्रयास में एमसीडी को पांच के बजाय तीन भागों में बांटने का फैसला किया। शीला दीक्षित ने जहां एमसीडी के विभाजन के लिए पुरजोर वकालत की, वहीं दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष जेपी अग्रवाल और कई अन्य नेताओं ने इसका जम कर विरोध किया। इन नेताओं का कहना था कि पार्टी के ज्यादातर लोग प्रस्ताव के पक्ष में नहीं हैं।
1 टिप्पणी:
शायद कुछ बेहतरी हो इस विभाजन से कार्यप्रणाली में.
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