बीजेपी ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार जानबूझ कर अफजल गुरु के मामले को लटका रही है और उसकी दया याचिका खारिज करने में ज्यादा वक्त ले रही है। पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, ' संविधान में यह कहां लिखा हुआ है कि क्रम के हिसाब से ही दया याचिका पर विचार किया जाएगा। ' उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझ कर अफजल मामले में देरी कर रही है। उन्होंने सरकार को याद दिलाया कि अगर अफजल की योजना कामयाब हो जाती और एक भी आतंकवादी संसद में घुस गया होता, तो देश की सभी पार्टियों का शीर्ष नेतृत्व खत्म हो गया होता।
उन्होंने यह भी कहा कि अफजल को ट्रायल कोर्ट से फांसी की सजा मिली थी, उसके बाद हाई कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने भी अफजल को फांसी की सजा सुनाई, तो इस मामले में देरी क्यों ? गुरुवार को 1993 के धमाके का दोषी खालिस्तानी आतंकी देविंदरपाल सिंह भुल्लर और एक और दोषी एम.एन दास की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी। इसके साथ ही संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की दया याचिका पर बहस तेज हो गई है।
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शक का लाभ आरोपी को मिलता है. अफज़ल गुरु के मामले में साम्प्रदायिकता के बहाव में बह कर वकीलों ने उसकी पैरवी न की न करने दी जिसके नतीजे में एक ऐसे व्यक्ति को मौत के मुंह में धकेला जा रहा है जिसके बारे में पता नहीं कि वह अपराधी है भी या नहीं. उसके खिलाफ साजिश रचने का आरोप है जो बेबुनियाद भी हो सकता है. यदि सही प्रकार से पैरवी कि गई होती तो शायद न्यायालय को सही मामले से अवगत कराया जा सकता था और उसके आधार पर हो सकता है कि फैसला कुछ दूसरा होता.
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