भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं के बीच अंतर-कलह के सबूत बार-बार सामने आते रहते हैं। एक बार फिर सुषमा स्वराज और अरुण जेटली के बीच की खटास का खुलासा हुआ है। यह खुलासा किसी मीडिया या एजेंसी ने नहीं किया बल्कि सुषमा ने खुद अपने बयान में अपनी ही पार्टी के बड़े नेताओं को कोसा।
शुक्रवार को सुषमा स्वराज ने एक अखबार को दिये गये साक्षात्कार में कहा कि बेल्लारी में अवैध खनन के लिए बदनाम रेड्डी बंधुओं को राजनीतिक मुकुट पहनाने में उनका कोई हाथ नहीं है। सुषमा ने कहा कि रेड्डी बंधुओं का पक्ष लेने का आरोप पूरी तरह निराधार है। उन्होंने कहा, "बेल्लारी ब्रदर्स की पोलिटिकल मेकिंग में जरा भी हाथ नहीं। उनको मंत्री बनाने में, विभाग दिलाने में कभी मेरी भूमिका नहीं रही। मंत्री बने तो जेटली प्रभारी थे, येदियुरप्पा मुख्यमंत्री थे। जो भी चर्चा हुई उन्होंने खुद बनाया। उन्होंने इसका विरोध किया था। तीन लोगों को एक घर में मंत्री नहीं बनाना चाहिये था।"
सुषमा ने कहा, "मेरे पास कभी कोई प्रोपोज़ल नहीं आया कि येदियुरप्पा उन्हें हटाना चाहते हैं और ना ही मैंने मना किया। एक ही परिवार के तीन लोगों को मंत्री बनाने का फैसला बेल्लारी बंधुओं से पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया गया। अरुण जेटली कर्नाटक के प्रभारी थे, मैं सिर्फ एक घर से तीन लोगों को मंत्री बनाने के खिलाफ थी। कई बार यह लड़ाई दिल्ली तक पहुंची, जिसका मुझे बड़ा अफसोस है।"
सुषमा के इस बयान से भाजपा के किसी भी बड़े नेता की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आयी है। सच पूछिए तो ऐसा लग रहा है जैसे यह किसी बड़े तूफान के पहले की शांति हो।
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