मंदिर के तहखाने से मिला कुबेर का खज़ाना. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 2 जुलाई 2011

मंदिर के तहखाने से मिला कुबेर का खज़ाना.



केरल की राजधानी थिरुअनंतपुरम के पद्मनाभस्वामी मंदिर में अरबों रुपए का खजाना मिला है। सदियों पुराने इस मंदिर को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सरकार ने खुलवाया है। सर्वोच्च न्यायालय की सात सदस्यीय समिति के पैनल ने जब मंदिर के गुप्त तहखानों और कमरों को खोला तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं। खजाने में बड़ी तादाद में मोती, पन्ना, माणिक, हीरे और सोने के सामान मिले हैं। खजाना इतना ज्यादा है कि अभी तक सर्वोच्च न्यायालय का दल सिर्फ 30 फीसदी का ही मुआयना कर सकी है।

अनुमान है कि इस मंदिर में लगभग 50,000 करोड़ के जेवरात मिले हैं। गिनती अभी भी जारी है। इस मंदिर के तहखाने में बड़ी-बड़ी गुफाएं हैं और उनमें सिर्फ हीरे, जेवरात भरे हैं। इनमें अथाह संपति है। सोने के तीन मुकुट, रत्नजड़ित सोने की छड़ें, 18 फुट लंबे 1000 से ज्यादा हार (नेकलेस)। इनमें से एक नेकलेस 10 किलो सोने का तो 4 नेकलेस का वजन 2 किलो है। एक लाख से ज्यादा सोने-चांदी के सिक्कों के कई बोरे यहां मिले हैं। वैसे यह बेशकीमती सामान सैकड़ों साल पुराना होने की वजह से इसकी सही कीमत नहीं आंकी जा सकी है। अभी तक गैरसरकारी सूत्रों ने इस खजाने के एक हिस्से की कीमत 50 हजार करोड़ रुपए आंकी है।


इतिहासकारों का कहना है कि इस खजाने में त्रावणकोर के महाराजाओं के सोने और हीरे के मुकुट और बेशकीमती जवाहरात मौजूद हैं। सरकार इस खजाने की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हो गई है। उसने मंदिर के आसपास सुरक्षा बहुत कड़ी कर दी है और मंदिर की फोटोग्राफी पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। अब तक खजाने से 50,000 करोड़ रुपये की संपत्ति निकाली जा चुकी है। यह आंकड़ा शुरूआती अनुमान है, लेकिन खजाना सवा सौ साल से ज्यादा पुराना है इसलिए इसकी कीमत कई गुना ज्यादा हो सकती है। खबरों के मुताबिक अभी तक खजाने के पांच तहखाने खोले जा चुके हैं और दौलत की सही कीमत आंकने की कोशिशें चल रही हैं।

सर्वोच्च न्यायालय में खजाने की रिपोर्ट जमा करने के बाद ही इस खजाने की सही कीमत का खुलासा किया जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय तब खुद इस खजाने में मिले कीमती सामान की असल कीमत तय कर सकता है। अभी तक जो कीमत लगाई जा रही है वह सिर्फ लोगों की अपनी सोच है।  सर्वोच्च न्यायालय के पैनल को पहले कमरे में गुरुवार को करीब 20,000 करोड़ रुपये के सोने, चांदी और जवाहरात मिले थे। यह कमरा पिछले 150 साल से बंद था। तहखाने में सोने के 3 मुकुट मौजूद थे। इतिहासकारों का कहना है कि ये मुकुट त्रावणकोर के राजाओं के थे और उनमें से एक को कुलशेखर पेरुमल पहनते थे। ये मुकुट अंदरूनी लॉकरों से मिले हैं। इसके अलावा बड़ी तादाद में रत्नजड़ित स्वर्णाभूषण और सोने की छड़ें भी निकली हैं।

कीमती और काफी दुर्लभ सामान और बेशकीमती जवाहरात इस मंदिर के अलग-अलग कमरों में मिले हैं। खासकर चैंबर ‘ए’ में जो सामान मिला है वह कई सदी पुराना है। सर्वोच्च न्यायालय के पैनल ने गुरुवार को कमरे में मिली दौलत के महज 30 फीसदी हिस्से की गिनती की है जिसे प्लास्टिक के 70 बोरों और 7 बक्सों में सहेजकर रखा गया है और अभी खजाना बढ़ता ही जा रहा है। इससे पहले चार दूसरे कमरों से पैनल को सोने और चांदी के बर्तन, मुकुट, सोने के छत्र मिले थे, जिनकी कीमत 5,000 करोड़ रुपए बताई गई है। इनमें पारंपरिक मशालें भी शामिल हैं।

कुल मिलाकर 6 कमरों में से 'ए और 'बी’ डेढ़ सौ साल से बंद हैं। थिरुअनंतपुरम के निवासियों के मुताबिक 'बी’ कमरे में भी बेशकीमती खजाना मौजूद है। जब से हमें सर्वोच्च न्यायालय ने इस खजाने का लेखा-जोखा लेने को कहा है, तभी से हम सभी काफी चिंतित हैं। सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है, लेकिन अब सरकार इसे और मजबूत बनाने के बारे में विचार कर रही है।

विशेषज्ञों के मुताबिक इस खजाने की सही कीमत आंकना काफी मुश्किल है, क्योंकि यह जितने पुराने होंगे, इनकी कीमत उतनी ही ज्यादा होगी। इन 6 कमरों के अलावा भी कई गुप्त तहखाने अभी मंदिर में बताए गए हैं, जो उप देवस्थान के गर्भगृह के नीचे हो सकते हैं। मंदिर परिसर में नरसिंह मूर्ति के दक्षिण के कोने में मौजूद कमरे 'ए’ में ग्रेनाइट की चट्टानें हटाने पर 367 सेंटीमीटर लंबा, 220 सेमी चौड़ा और 175 सेमी ऊंचा गुप्त कमरा मिला है। वहां जाने के लिए संकरा रास्ता था, जिसमें एक वक्त में एक ही आदमी जा सकता था।उसके अंदर जमीन पर खजाना बिखरा था और दीवारों पर बनाए गए विशेष लॉकरों में भी बेशुमार दौलत मिली है। इन लॉकरों पर सांप और अंग्रेजी अक्षर 'एस’ की आकृति के निशान भी मिले हैं। डेढ़ सौ साल से ज्यादा वक्त से बंद 'बी’ कमरे और 'एफ’ कमरे को भी अब खोला जाएगा। इनमें मिलने वाली संपत्ति के दस्तावेज अदालत में पेश किए जाएंगे।

 गौरतलब है कि थिरुअनंतपुरम के भगवान पद्मनाभ को त्रावणकोर रॉयल हाउस ट्रस्ट चलाता है और भगवान पद्मनाभ को यहां पारिवारिक देवता का दर्जा हासिल है। इससे पहले इस मंदिर के दो चैंबर सन 1880 में खोले गए थे। अब 130 साल बाद फिर मंदिर के गुप्त तहखानों और कमरों को खोला गया है, जिनमें बेशकीमती आभूषण और जवाहरात मिले हैं। इतिहासकारों के मुताबिक इस बार जो खजाना मिला है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि यह मंदिर भारत ही नहीं दुनिया भर में शायद सबसे ज्यादा अमीर मंदिर है।

थिरुअनंतपुरम के भगवान पद्मनाभ मंदिर में मिले खजाने से सभी ताज्जुब में हैं। जानकारों के मुताबिक खज़ाने की खोज करनेवाले लोगों की नजर में यह खजाना अब तक मिले सभी खज़ानों में शायद सबसे ज्यादा कीमत का होगा। खोजबीन के दौरान मोती, पन्ना, माणिक्य, नीलम और हीरे जैसे कीमती रत्न भारी बक्सों में रखे मिले हैं। सोने से बने धान के ढेर और एक हजार सर्पोली जंजीरों के ढेर मिले हैं। जानकारों के मुताबिक ये पारंपरिक राजसी जंजीरें होती हैं। इनमें सबसे लंबी जंजीर 18 फीट की बताई गई है। उनमें से एक जंजीर का वजन 10 किलो तक था तो चार का वजन 2-2 किलो तक है।

एक और लॉकर में शुद्घ सोने से बनी लंबी रस्सी मिली, जिसे केरल की पारंपरिक जूट की रस्सी की तरह गोल-गोल मोड़कर रखा गया था। खजाने में ऐसी कई रस्सियां रखी थीं। 5-5 करोड़ रुपये की कीमत वाले हीरे और सोने की सैकड़ों मुहरें थैलों और लकड़ी के बक्सों में रखी मिली हैं। कुछ थैले फट गए थे, बक्से टूट गए थे और कीमती रत्न जमीन पर बिखरे थे। सभी जंजीरें और हार मिलाकर एक क्विंटल से भी ज्यादा भारी हैं।

कमरों में सोने के बेशुमार पेंडेंट मौजूद थे और बड़ी तादाद में सोने के राजदंड मिले हैं। ऐसी चेनें मिली हैं, जिनमें पन्नों और माणिक्य की 12-12 परतें तक जड़ी हैं। सोने-चांदी के सिक्कों की संख्या एक लाख के आसपास बताई जा रही है। सोने के मणिबंध यानी कलाई पर पहनने वाले पट्टे की भी खूब चर्चा है, जिनमें हीरे जड़े हैं। हरेक मणिबंध दो किलो का है। एक से 2 किलो वजन वाली सोने-चांदी की छड़ों और सिक्कों की तो गितनी नहीं है।

3 टिप्‍पणियां:

Sunil Kumar ने कहा…

यह है ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया ज्ञानवर्धक लेख आभार

Udan Tashtari ने कहा…

बताईये....और जनता गरीब है.

ROHIT ने कहा…

भारत ऐसे ही सोने की चिड़िया नही कहलाता था.
विदेशी लुटेरो ने कई कई बार इस देश का खजाना लूटा था.
जो खजाना उन लुटेरो की नजरो से बचाने के लिये पहले के राजा जमीन के अंदर छुपाते थे.
वो आज खोजने पर तो मिलेगा ही.
इसमे कोई नई बात नही है.
भारत जितना धनवान देश तो पूरे विश्व मे नही था.
जय हिन्द