सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के संपन्न परिवारों को आरक्षण के दायरे से बाहर रखने के संबंध में निर्देश देने संबंधी जनहित याचिका मंगलवार को स्वीकार कर ली।
जज आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता वाली दो जजों की बेंच ने इस मामले में केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों को नोटिस जारी किए हैं और उनसे जवाब पेश करने को कहा है। याचिकाकर्ता ओपी शुक्ला की दलील है कि संपन्न एससी/एसटी परिवारों को आरक्षण के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। शुक्ला की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आर वेंकटरमणी ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वह सरकार को लोकुर समिति की रिपोर्ट पर अमल का निर्देश दे।
1965 में लोकुर समिति ने एससी/एसटी के संपन्न परिवारों को आरक्षण के दायरे से बाहर रखने की सिफारिश की थी। समिति ने तर्क दिया था कि इस रियायत से एससी/एसटी में एक ऐसा वर्ग भी उभरा है जो इस सुविधा का गलत फायदा उठा रहा है। मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक, क्रीमी लेयर के तहत आने वाले पिछड़ा वर्ग के लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है, जबकि एससी-एसटी के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है। गौरतलब है कि शिक्षा संस्थानों और नौकरियों में एससी को 15 प्रतिशत और एसटी को 7.5 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है।

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