वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 2−जी स्पेक्ट्रम मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए अपने नोट से पैदा हुए विवाद पर कुछ भी बोलने से इनकार किया है। इस नोट में प्रणब मुखर्जी ने पी चिदंबरम की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। इस विवाद के तूल पकड़ने के बाद प्रणब मुखर्जी ने अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ये मामला अभी अदालत में है इसलिए वो इस पर कुछ नहीं बोलेंगे।
न्यूयॉर्क में फिक्की के एक कायर्क्रम में पहुंचे प्रणब ने एक सवाल के जवाब में चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए सूचना के अधिकार जैसा हथियार सौंपा है। इसी का नतीजा है कि उनके मंत्रालय की ओर से पीएमओ को भेजी गई चिट्ठी आज सबके सामने है। इस बीच कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि नीतिगत फैसलों को लेकर चिदंबरम को कठघरे में नहीं खड़ा किया जा सकता। खुर्शीद ने कहा कि उनका फैसला सही या गलत हो सकता है लेकिन इसके लिए घोटाले में नाम घसीटना ठीक नहीं।
25 मार्च 2011 को पीएमओ को भेजे गए वित्त मंत्रालय के एक अफसर के नोट के सामने आने से पी चिदंबरम आरोपों के घेरे में आ गए हैं। 14 पन्नों के इस नोट में जेल में बंद पूर्व टेलिकाम मंत्री ए राजा के फैसलों के बारे में बताया गया है और कहा गया है कि चिदंबरम इन फैसलों को रोक सकते थे। नोट में लिखा है कि 2-जी के बारे में फैसले राजा के अपने नहीं हैं चिदंबरम और राजा ने मिलकर लिए थे और वित्त मंत्री की हैसियत से अगर चिदंबरम जोर देते तो नीलामी हो सकती थी। नोट के मुताबिक अगर चिदंबरम स्टैंड लेते तो टेलिकॉम मंत्रालय को 2-जी स्पेक्ट्रम की नीलामी करनी पड़ती। साथ ही राजा के दिए लाइसेंस रद्द करने के लिए सरकार के पास चार महीने का वक्त था। इस नोट को सुब्रह्ण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में फाइल किया है।
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