कश्मीरियों का दर्द समझता हूँ - राहुल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 27 सितंबर 2011

कश्मीरियों का दर्द समझता हूँ - राहुल

कश्मीर घाटी के दौरे पर आये कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने कश्मीर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ भावपूर्ण तरीके से बातचीत कर कहा कि वह कश्मीरियों के ‘दर्द’ को समझते हैं क्योंकि वह खुद भी कश्मीरी हैं. विश्वविद्यालय के सभागार में करीब एक हजार विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए 41 वर्षीय राहुल ने कहा कि वह हिंसा की समस्या को भी समझते हैं क्योंकि उनका परिवार भी हिंसा का शिकार रहा है.

राहुल ने कहा, ‘जैसा कि आप में से अधिकतर लोग जानते होंगे, मैं भी एक कश्मीरी हूं. लिहाजा, यहां का दर्द, मेरा भी दर्द है.’ उनकी इस बात पर विद्यार्थियों ने तालियां बजायीं. कश्मीर विश्वविद्यालय के कुलपति तलत अहमद के स्वागत भाषण के बाद कांग्रेस के युवा नेता ने खुद का परिचय दिया और कहा कि उनका नजरिया युवाओं से संवाद साधने का है.
उन्होंने कहा, ‘जब मैं 14 वर्ष का था तो मैं बेखबर सा कक्षा में बैठा था. तभी एक महिला आयी और कहा कि मेरे लिये फोन आया है. मैंने फोन सुना और मुझे बताया गया कि मेरी दादी (इंदिरा गांधी) की गोली मार कर हत्या कर दी गयी है. कुछ वर्ष बाद मेरे पिता (राजीव गांधी) की भी हत्या हो गयी.’

राहुल ने कहा, ‘जिन लोगों ने हिंसा को भुगता है, वे हिंसा के दर्द को समझ सकते हैं.’ विद्यार्थियों ने घाटी में हिंसा के स्तर के बारे में कई सवाल खड़े किये, जिन्हें राहुल ने धर्य से सुना. विद्यार्थियों ने रोजगार के कम अवसर होने और राज्य में वस्तुत: कोई भी बहुराष्ट्रीय कंपनी नहीं होने की बात उठायी. राहुल ने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कुछ न्यूनतम बुनियादी जरूरतें होती हैं जिन्हें पूरा करना होता है. लेकिन जहां तक अन्य तरह के कारोबार की बात है तो उन्हें चलने देने के लिये अनुकूल माहौल की जरूरत है. कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मैं युवा कारोबारियों का एक प्रतिनिधिमंडल भेजूंगा. मेरी जिम्मेदारी उन्हें आपके पास भेजने की है. आपकी जिम्मेदारी उन्हें इस बात के लिये राजी कराने की है कि किस तरह वे घाटी में अपना कारोबार स्थापित कर सकते हैं.’

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